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शोध आलेख : ‘गदर की चिनगारियाँ’ नाटक-संग्रह में चित्रित नारी सशक्तीकरण

नारी-सशक्तीकरण समय की आवाज़ भी है और माँग भी। इसे नारी-विमर्श का क्रियात्मक रूप कह सकते हैं। यह एक सामाजिक उपक्रम ही कहा जाएगा। कहीं-कहीं इसके लिए नारी सबलीकरण पद का भी प्रयोग होता है। इसका विशेष प्रयोग प्रशासनिक और… Read More

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चंद्रयान-3

भारत ने आज चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. इसरो की इस उपलब्धि पर साहित्य सिनेमा सेतु परिवार की तरफ से हार्दिक बधाई। +3-2

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लेख : स्वतंत्रता से स्वछंदता तक

स्वतंत्रता इस संसार में सबको प्रिय है। हर जीव इसी आस और यतन में रहता है कि वह स्वतंत्र रहे। अधिकतर यह देखा जाता है कि स्वतंत्रता की चाह जब अधिक हो जाती है तो वह उसके ऊपर हावी हो… Read More

काश! ग़ालिब ने रटौल खाया होता

“फल कोई ज़माने में नहीं, आम से बेहतर करता है सना आम की, ग़ालिब सा सुखनवर इकबाल का एक शेर, कसीदे के बराबर छिलकों पे भिनक लेते हैं, साग़र से फटीचर वो लोग जो आमों का मज़ा, पाए हुए हैं… Read More

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लेख : पूर्वोत्तर भारत के छात्र-छात्राओं का समूह देश के बाकी हिस्से में भ्रमण पर

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद देश भर में छात्रों के हितों की बात करता रहा है। परिषद लगातार छात्र हितों के लिए प्रयासरत है। विद्यार्थी परिषद का मुख्य उद्देश्य समाज में सामाजिक सौहार्द तथा भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत… Read More

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व्यंग्य : मठहाउस

प्रश्न – हिंदी साहित्य के वर्तमान परिवेश में मठ और मठाधीशों की क्या स्थिति है ? उत्तर- हिंदी साहित्य इस समय मठ और मठाधीशों के कम्रिक रूपांतरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है । कोरोना काल में यात्रा करने की… Read More

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लेख : सीक्वल के भरोसे ओटीटी

ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत जब देश में हुई तो किसी को इतना अंदाजा नहीं था कि यह अपनी पकड़ भारतीय दर्शकों पर इतनी ज्यादा बना देगा ।शुरुआती वेब सीरीज को देखकर लगा कि बस कुछ एक कंटेंट ऐसे हैं जिन्हें… Read More

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व्यंग्य : बोलो जुबां केसरी

बोलो जुबाँ केसरी (व्यंग्य) ‘कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उसको भाते होंगे “ जी हाँ उसको गुटखा बहुत भाता था ,वो गुटखे के बिना न तो रह सकता था और न… Read More

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लेख : मानसिकता

पद्मा इन दिनों बहुत परेशान थी। पढ़ाई के साथ साथ साहित्य में अपना अलग मुकाम बनाने का सपना रंग ला रहा था। स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर तक उसकी रचनाएं प्रकाशित हो रही थीं। जिसके फलस्वरूप उसे विभिन्न आयोजनों… Read More

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लघुकथा : यूज एंड थ्रो

अदिति… आओ लंच करें… मिली ने टिफिन खोलते हुए कहा। “नो डियर, तुम कर लो, मुझे भूख नहीं है।” अदिति ने विंडो से बाहर देखते हुए कहा। “व्हाट डू यू मीन, भूख नहीं है।” क्या बात है दिवाकर, अभी भी… Read More