हिंदी सिनेमा में जब भी देशभक्ति फिल्मों की बात आती है तो भारत कुमार यानि की मनोज कुमार का नाम ही सबके जुबां पर सबसे पहले आता है। 15 अगस्त हो या फिर 26 जनवरी जब तक मनोज कुमार के… Read More

हिंदी सिनेमा में जब भी देशभक्ति फिल्मों की बात आती है तो भारत कुमार यानि की मनोज कुमार का नाम ही सबके जुबां पर सबसे पहले आता है। 15 अगस्त हो या फिर 26 जनवरी जब तक मनोज कुमार के… Read More
शोध सार:- रामकथा भारतीय संस्कृति, साहित्य और कलाओं में गहरे तक व्याप्त एक महत्त्वपूर्ण आख्यान है। यह कथा भारतीय जीवन दर्शन, नैतिक मूल्यों और सांस्कृतिक परंपराओं का आधार है। इस शोध में रामकथा के भारतीय कला और साहित्य पर… Read More
जो बीत गया, क्या वो वापस नहीं आ सकता? जो बदल गया, क्या वो दुबारा नहीं बदल सकता? जो छूट गया, क्या वो दुबारा नहीं मिल सकता? जो रुक गया, क्या वो दुबारा नहीं शुरु हो सकता? हर समय बदलना,… Read More
पुष्पा ढाई अक्षर नाम छोटा है मगर साउंड बहुत बड़ा। क्योंकि पुष्पा अब केवल नाम नहीं ब्रांड बन चुका है और बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ने के लिए तैयार है। फुल एक्शन, ड्रामा, कॉमेडी, कल्चर और पारिवारिक इमोशन से… Read More
पत्र-साहित्य ही वह विधा है जिसके द्वारा मनुष्य समाज में रहते हुए अपने भावों एवं विचारों को दूसरों तक पहुँचाता है। पत्र सूचना संप्रेषण का सबसे प्राचीनतम साधन है।प्राचीनकाल से ही पत्र का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व रहा… Read More
प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक ‘दीपक दुआ’ को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में ‘सर्वश्रेष्ठ फिल्म समीक्षक’ के लिए चुने जाना हिंदी फिल्म पत्रकारिता और हिंदी फिल्म समीक्षक की दृष्टि में बेहद सम्मानजनक है। दीपक दुआ 1993 से दिल्ली स्थित फिल्म क्रिटिक व ट्रैवल… Read More
दिनांक 11 अगस्त को नागरी प्रचारिणी सभा, देवरिया के तत्वावधान में तुलसी जयंती समारोह मुख्य अतिथि श्री शलभ मणि त्रिपाठी (सदर विधायक), मुख्य वक्ता अष्टभुजा शुक्ल, प्रख्यात साहित्यकार, विशिष्ट अतिथि श्रीमती अलका सिंह, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद, देवरिया की उपस्थिति… Read More
15 अगस्त के दिन देवरिया नगर में मोती लाल मार्ग स्थित न्यास के कार्यालय में बालिकाओं के लिए कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र का शुभारंभ होने जा रहा है। इस केन्द्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं को निःशुल्क कम्प्यूटर… Read More
दलित स्त्री केंद्रित कहानियाँ : स्वप्न, संघर्ष और यथार्थ का ताना-बाना साहित्य लेखन की आरम्भिक विधा कविता रही। कविता हो या कथा, पाश्चात्य हो या भारतीय, पुरुष लेखकों की रचनाओं में चित्रित ‘स्त्री छवि’ पर सहानुभूति और स्वानुभूति के आलोक… Read More
“जय श्रीराम शुक्लाजी, कहाँ से लौट रहे हैं इतनी गर्मी में? आसमान स आग बरस रही है और आप स्कूटर घर में रखकर साइकिल भांज रहे हैं। काहे बचा रहे हैं इतना पैसा” मैंने उन्हें अभिवादन करते हुए उन्हें शब्दों… Read More