आया है ये वक्त कैसा रक्त नहीं रक्त जैसा। बेटा आज बाप को ही अर्थ समझाता है। चपर-चपर बोले सुनता ना हौले-हौले। जननी के सामने ना सर को झुकाता है। मौके की फ़िराक़ में है सपनों की साख में है।… Read More

आया है ये वक्त कैसा रक्त नहीं रक्त जैसा। बेटा आज बाप को ही अर्थ समझाता है। चपर-चपर बोले सुनता ना हौले-हौले। जननी के सामने ना सर को झुकाता है। मौके की फ़िराक़ में है सपनों की साख में है।… Read More
मेरे जीवन आधार सदा, केशव माधव वृषभानु दुलारी मोपे कृपा करो मेरे कष्ट हरो मेरे नटवर की प्राणन प्यारी जमुनातट हो वंशी वट हो, नैनन आगे मेरो नटखट हो चितचोर चपल चंचल मन में, रख लूँ तुम्हें मेरे रास बिहारी… Read More
आओ सब मिल एक बने हम, स्वच्छता की ओर बढ़ें हम। भारत मां की यही पुकार, स्वच्छ बने ये घर–संसार। आओ बढ़ाएं कदम पुरज़ोर, बढ़े कदम स्वच्छता की ओर। घर से निकलो सब लोग अभी, यह पुण्य कार्य पूर्ण होंगे… Read More
शेर-शेरनियाँ घूम रहे थे पहलगाम की वादी में, चूहों ने था घात लगाया, कायरता की आदी में। चूहा अपने बिल से निकला कुछ चूहों को साथ लिए, वादी को आतंकित कर दी बंदूकों को हाथ लिए। बोला अपना धर्म बताओ… Read More
छांव में जिसकी खेले बचपन, जिसकी छाया में बीते जीवन, आज वही पेड़ खड़ा अकेला, बता रहा है अपना मन का ग़म। टहनी-टहनी बिखरी स्मृति, पत्तों में छुपी हैं कहानियाँ कितनी। कभी था वह गाँव की शान, अब अनदेखा, जैसे… Read More
बचपन की वो गलियाँ, वो मिट्टी की खुशबू, नंगे पाँव दौड़ना, बारिश में भीगना खूब। कंचे, लट्टू, पतंगों की उड़ान, हर खेल में छुपा था कोई अनजान गुमान। न किताबों का बोझ, न जिम्मेदारियाँ भारी, हर दिन था उत्सव, हर… Read More
समुद्र की यात्रा पर दर्शन और भौतिकी मिले दोनों ही जिज्ञासु, दोनों ही अद्भुत लगे। थोड़ी देर मौन के बाद भौतिक मुस्कुराकर बोला— हम दोनों का लक्ष्य तो एक ही है: सत्य, ज्ञान, और ब्रह्माण्ड की खोज। मगर फर्क बस… Read More
मेरी माँ तेरा साया, सदा मैंने पाया तूने मुझको दिखाया जहाँ मेरी ऊँगली पकड़ चलना तूने सिखाया तुझ सी ममता मिलेगी कहाँ? तेरी साँसो से ही फूल नन्हा खिला तुझसे जीवन मिला मुझको माँ पहला भगवान तू, कृष्ण तू राम… Read More
पहलगाम में आतंकी, गुरगों ने कुत्सित काम किया। निहत्थे निर्दोषों का क्यों, उनने कत्ले आम किया? आतंक की दुकाने उनकी, बम गोलियों के हथियार। दहशत का बाजार गर्म कर, षडयंत्रों की मारे मार। खूबसूरत कश्मीर में वो है, बदनामी के… Read More
जिस दिन तुम्हारी दृष्टि में पथ-गंतव्य अभिन्न प्रतीत होने लगे समझ लेना, तुमने उपलब्धि की उस प्रमाणित रेखा को मिटा दिया है। जिस दिन प्रसन्नता और मुस्कुराहट में फर्क करना कठिन हो जाए समझ लेना तुमने अपने मन को स्वयं… Read More