तेरे मुस्कराने का मुझको न जाने क्यों आभास होता है। तेरी तस्वीर बनाने का मेरा दिल क्यों कहता है। न हमने तुमको देखा है न तुमने हमको देखा है। फिर भी तुमसे मिलने को मेरा दिल क्यों कहता है।। पलक… Read More

तेरे मुस्कराने का मुझको न जाने क्यों आभास होता है। तेरी तस्वीर बनाने का मेरा दिल क्यों कहता है। न हमने तुमको देखा है न तुमने हमको देखा है। फिर भी तुमसे मिलने को मेरा दिल क्यों कहता है।। पलक… Read More
हर एक अंत से ही नई शुरुआत होती है। भूलाकर गिले शिकवो को नई शुरुआत करते है। लोग तो आते है जाते है पर उनके काम याद आते है। शायद इसकी को दुनियांदारी दुनियां वाले कहते है।। दिल व्याकुल हो… Read More
न देखो तुम अब मुझको कुछ इस तरह से। मुझे कुछ भी नहीं होता तेरे अब देखने से। बड़ी मुश्किल से संभाली हूँ तुम्हारी उस बेवफाई से। मुझे जी कर दिखाना है तुम्हारे उस दुनियां को।। मेरा जीना तेरी हार… Read More
गली गली में घूमते शराफ़त का मुखौटा लगाए कभी सहायक बनकर कभी खास बनकर। उठाते मजबूरी का फायदा नौकरी, धन और प्रेम का झांसा देकर। नजरों में कच्चा खा जाने की प्यास मन में हवस का अरमान लिए करते हैं… Read More
बना है मौसम कुछ ऐसा की दिल खिल उठा है। नजरा देखो बाग का कैसे फूल खिल रहे है। जिन्हें देख कर हमारी मोहब्बत मचल उठी है। और उनकी यादों में खोकर तड़पने हम जो लगे है।। बनाया था इसी… Read More
धरती से उड़कर आदित्य, उस आदित्य ओर चला। बदल-बदल कर वह कक्षाएँ, एक बार फिर वो सम्भला। इसरो की आशाएँ उस पर। भारत-विश्व स्वाभिमान है। *अजस्र* भास्कर देख नजारा, विस्मय स्वर उससे निकला। कदम-कदम आगे ही बढ़ता, ‘आदित्य’, ‘आदित्य’ का… Read More
क्यों हिंदी हिंदी करते हो, हिंदी का दम क्यों भरते हो, है तो बस एक भाषा ही, क्यों घमंड इसका करते हो। अस्तित्व है ये सिर्फ़ भाषा नही, प्रगति की है अब आशा यही, है जन जन को ये जोड़ती,… Read More
सत्य एक, बीती दो रात है ये दो चांदनी, फिर कहे कोई बात है रूको नहीं, झुकों नहीं दिन भी है, फिर रात है। दिशा प्रशस्त हो चुकी कदम – कदम पे कलम धार है जो रूके नहीं चलते चले… Read More
मेरे मुस्कराने का तुझे भला क्यों इंतजार है। तेरे आँखो में क्या मेरे लिए प्यार है। तभी तो तुम मुझे हमेशा खोजते हो। पर अपने दिलकी बातें क्यों कह नहीं रहे हो।। तेरे मुस्कराने का मुझे सदा एहसास होता है।… Read More
पृथ्वी ने भेजी है राखी, चंदा तक पहुंचाने को। विक्रम-प्रज्ञान हैं बने संवदिया, भाई-राखी बंधवाने को । राखी में भरकर है भेजा, आठ-अरब का प्यारा- प्यार । इसरो ने उसको पहुँचाया , सोलह-बरस ,मेहनत का सार । भारत संग जहान… Read More