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कविता : क्यों हो रहा

तेरे मुस्कराने का मुझको न जाने क्यों आभास होता है। तेरी तस्वीर बनाने का मेरा दिल क्यों कहता है। न हमने तुमको देखा है न तुमने हमको देखा है। फिर भी तुमसे मिलने को मेरा दिल क्यों कहता है।। पलक… Read More

sanghars

कविता : संकल्प

हर एक अंत से ही नई शुरुआत होती है। भूलाकर गिले शिकवो को नई शुरुआत करते है। लोग तो आते है जाते है पर उनके काम याद आते है। शायद इसकी को दुनियांदारी दुनियां वाले कहते है।। दिल व्याकुल हो… Read More

himat

कविता : हिम्मत

न देखो तुम अब मुझको कुछ इस तरह से। मुझे कुछ भी नहीं होता तेरे अब देखने से। बड़ी मुश्किल से संभाली हूँ तुम्हारी उस बेवफाई से। मुझे जी कर दिखाना है तुम्हारे उस दुनियां को।। मेरा जीना तेरी हार… Read More

raat

कविता : मोहब्बत की ज्योत

बना है मौसम कुछ ऐसा की दिल खिल उठा है। नजरा देखो बाग का कैसे फूल खिल रहे है। जिन्हें देख कर हमारी मोहब्बत मचल उठी है। और उनकी यादों में खोकर तड़पने हम जो लगे है।। बनाया था इसी… Read More

muskan

कविता : पूर्वजन्म की यादें

मेरे मुस्कराने का तुझे भला क्यों इंतजार है। तेरे आँखो में क्या मेरे लिए प्यार है। तभी तो तुम मुझे हमेशा खोजते हो। पर अपने दिलकी बातें क्यों कह नहीं रहे हो।। तेरे मुस्कराने का मुझे सदा एहसास होता है।… Read More

shree krishna jnamasatmi

गीत : जन्माष्टमी

कितना पवन दिन आया है। सबके मन को बहुत भाया है। कंस का अंत करने वाले ने। आज जन्म जो लिया है।। काली अंधेरी रात में नारायण। लेते देवकी की कोक से जन्म। इसी प्यारे बालक को कहते कान्हा कन्हैया… Read More

nazdik

कविता : बनाने जा रहे है

कहा से हम चले थे कहा हम आ पहुंचे है। बुझाकर नफरतो के दीप मोहब्बत जगा दिये है। दिलो में दीप मोहब्बत के हमने जला दिये है। इसलिए तो हम और आप करीब जो आ गये है।। अमन और चैन… Read More

khamosi

गीत : कैसे फिसल गये

प्यार में देखो हम कैसे फिसल जो रहे। आपके प्यार में हम क्यों बंधने लगे। किस तरह से हम अब सजने सभार ने लगे। दो जिस्म को एक जान क्यों कहने लगे।। प्यार में देखो हम कैसे फिसल जो रहे।।… Read More

karwa chouth

कविता : पति की आयु का व्रत

दर्द सहने की अब आदत सी हो गई है। प्यार किया है तो इसे सहना पड़ेगा। कांटो पर चलकर मोहब्बत को पाना पड़ेगा। बीत जायेंगे दुखभरे दिन कांटो पर चलचल कर। और मोहब्बत करने वाली को समाने आना पड़ेगा।। जब… Read More

jiwan

गीत : कलयुग भी सतयुग जैसा लग रहा

कलयुग भी सतयुग जैसा लग रहा विद्यासागर जी के कामों से। कितने जीवों के बच रहे प्राण उनकी गौ शालाओं से।। जीव हत्या करने वाले अब स्वयं आ रहे उनकी शरण में। लेकर आजीवन अहिंसा का व्रत स्वयं करेंगे उनकी… Read More