श्यामू पंडितजी का शूरपुरा गॉंव में सिक्का चलता है। गांव में ही नहीं; पूरे मौजे में कथा वाचते हैं, विवाह पढ़ते हैं और सारे पंडिताई के काम – काज करने के साथ – साथ खेती भी करते हैं। पंडित जी… Read More
कहानी : मंगरू की दादी
मंगरू की दादी आँगन में खाट पर पड़ी रहती है। किसी का हृदय पसीजा तो खाना खाने के वास्ते बुलाते हैं। वरना, दादी खुद खाना खाने के वक्त थाली लेकर चली जाती है। वह भी एक बार सुबह और रात… Read More
कहानी : हाँ, वह उसकी माँ है
गर्भवास का पिंड छुड़ाकर अभी-अभी तो वह बाहर आया है और आते ही बेहोश हो गया था। उसे नहीं मालुम कि वह कितने घंटे बेहोश पड़ा रहा। इस समय वह खुद एक चादर में लिपटा हुआ था। आंख खुलते ही… Read More
लघुकथा : रावण में भी राम
रामलीला का आयोजन चल रहा था। दृश्य था “सीता – हरण”। पंडाल भरा हुआ था। आयोजकों ने महिलाओं और पुरुषों के लिए बैठने की व्यवस्था, सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से अलग-अलग की थी। सभी लोग लीला का आनंद ले… Read More
काश! ग़ालिब ने रटौल खाया होता
“फल कोई ज़माने में नहीं, आम से बेहतर करता है सना आम की, ग़ालिब सा सुखनवर इकबाल का एक शेर, कसीदे के बराबर छिलकों पे भिनक लेते हैं, साग़र से फटीचर वो लोग जो आमों का मज़ा, पाए हुए हैं… Read More
लेख : अंक आधारित योग्यता
बिहार बोर्ड दसवीं (मैट्रिक) का परीक्षा परिणाम आया है आज । एक लंबे इंतज़ार के बाद । हमारे समाज के लिए आज का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है । जो बच्चे प्रचंड अंक धारण किए हैं, ख़ूब चहक रहे हैं ।… Read More
लेख : नारी, माया या देवी
नवरात्रि में दुर्गा के रूप में पूजी जाने वाली शक्ति रूपा स्त्री आज अधिकांश रूप में बेबस और लाचार नजर आती है। नारी का रूप बदला है, किन्तु नारी के प्रति संकीर्ण अवधारणाएं आज भी नहीं बदली है। आज भी… Read More
लघुकथा : यूज एंड थ्रो
अदिति… आओ लंच करें… मिली ने टिफिन खोलते हुए कहा। “नो डियर, तुम कर लो, मुझे भूख नहीं है।” अदिति ने विंडो से बाहर देखते हुए कहा। “व्हाट डू यू मीन, भूख नहीं है।” क्या बात है दिवाकर, अभी भी… Read More
लेख : मूल्य और उसका व्यावहारिक पक्ष
मूल्य जीवन का संचालक होता है। सकारात्मक और नकारात्मक मूल्यों से हम संचालित होते हैं। जीवन को उसकी श्रेष्ठता के साथ जीने का एक जरिया और एक पक्ष दोनों मूल्य है। मूल्य मनुष्य में निहित मानवीय पक्ष होता है, जो… Read More
लेख : मकर संक्रांति और विज्ञान
जी हाँ! पूस का महीना खत्म हो चुका और माघ का महीना आ चुका है। देखते ही देखते मकर संक्रांति का त्यौहार आ गया है। ज्योतिषी, धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से आज के दिन का बहुत महत्व है। इसी… Read More