savarkar

पुस्तक समीक्षा : सावरकर की चिंतन-दृष्टि

इतिहास के पन्नों में विनायक दामोदर सावरकर का नाम भारतीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में काफी चर्चा का विषय रहा है। राजनीतिक दलों ने अपने अपने अनुसार वीर सावरकर को समझने का प्रयास किया है। किसी ने स्वतंत्रता आंदोलन में एक… Read More

holi

कविता : होली आई

आओ हम सब, मिलकर मनायें होली। अपनो को स्नेह प्यार का, लगाये रंग हम। चारों ओर होली का रंग, और है अपने संग। तो क्यों न एकदूजे को, लगाये हम रंग। आओ मिलकर मनायें, रंगो की होली हम।। राधा का… Read More

story panchyat

कहानी : पंचायत

श्यामू पंडितजी का शूरपुरा गॉंव में सिक्का चलता है। गांव में ही नहीं; पूरे मौजे में कथा वाचते हैं, विवाह पढ़ते हैं और सारे पंडिताई के काम – काज करने के साथ – साथ खेती भी करते हैं। पंडित जी… Read More

kahni magru ki dadi

कहानी : मंगरू की दादी

मंगरू की दादी आँगन में खाट पर पड़ी रहती है। किसी का हृदय पसीजा तो खाना खाने के वास्ते बुलाते हैं। वरना, दादी खुद खाना खाने के वक्त थाली लेकर चली जाती है। वह भी एक बार सुबह और रात… Read More

kahni ha uski ma hai

कहानी : हाँ, वह उसकी माँ है

गर्भवास का पिंड छुड़ाकर अभी-अभी तो वह बाहर आया है और आते ही बेहोश हो गया था। उसे नहीं मालुम कि वह कितने घंटे बेहोश पड़ा रहा। इस समय वह खुद एक चादर में लिपटा हुआ था। आंख खुलते ही… Read More

ram

लघुकथा : रावण में भी राम

रामलीला का आयोजन चल रहा था। दृश्य था “सीता – हरण”। पंडाल भरा हुआ था। आयोजकों ने महिलाओं और पुरुषों के लिए बैठने की व्यवस्था, सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से अलग-अलग की थी। सभी लोग लीला का आनंद ले… Read More

काश! ग़ालिब ने रटौल खाया होता

“फल कोई ज़माने में नहीं, आम से बेहतर करता है सना आम की, ग़ालिब सा सुखनवर इकबाल का एक शेर, कसीदे के बराबर छिलकों पे भिनक लेते हैं, साग़र से फटीचर वो लोग जो आमों का मज़ा, पाए हुए हैं… Read More

लेख : अंक आधारित योग्यता

बिहार बोर्ड दसवीं (मैट्रिक) का परीक्षा परिणाम आया है आज । एक लंबे इंतज़ार के बाद । हमारे समाज के लिए आज का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है । जो बच्चे प्रचंड अंक धारण किए हैं, ख़ूब चहक रहे हैं ।… Read More

nari

लेख : नारी, माया या देवी

नवरात्रि में दुर्गा के रूप में पूजी जाने वाली शक्ति रूपा स्त्री आज अधिकांश रूप में बेबस और लाचार नजर आती है। नारी का रूप बदला है, किन्तु नारी के प्रति संकीर्ण अवधारणाएं आज भी नहीं बदली है। आज भी… Read More

use and throw

लघुकथा : यूज एंड थ्रो

अदिति… आओ लंच करें… मिली ने टिफिन खोलते हुए कहा। “नो डियर, तुम कर लो, मुझे भूख नहीं है।” अदिति ने विंडो से बाहर देखते हुए कहा। “व्हाट डू यू मीन, भूख नहीं है।” क्या बात है दिवाकर, अभी भी… Read More