काश! ग़ालिब ने रटौल खाया होता

“फल कोई ज़माने में नहीं, आम से बेहतर करता है सना आम की, ग़ालिब सा सुखनवर इकबाल का एक शेर, कसीदे के बराबर छिलकों पे भिनक लेते हैं, साग़र से फटीचर वो लोग जो आमों का मज़ा, पाए हुए हैं… Read More