आओ हम सब,
मिलकर मनायें होली।
अपनो को स्नेह प्यार का,
लगाये रंग हम।
चारों ओर होली का रंग,
और है अपने संग।
तो क्यों न एकदूजे को,
लगाये हम रंग।
आओ मिलकर मनायें,
रंगो की होली हम।।
राधा का रंग और
कान्हा की पिचकारी।
प्यार के रंग से,
रंग दो ये दुनिया सारी।
ये रंग न जाने कोई,
जात न कोई बोली।
आओ मिला कर मनायें,
रंगो की होली हम।।
रंगों की बरसात है,
हाथों में गुलाल है।
दिलों में राधा कृष्ण,
जैसा हीं प्यार है।
चारों तरफ मस्त,
रंगो की फुहार है।
हर कोई कह रहा,
ये रंगों का त्यौहार है।।
बड़ा ही विचित्र ये,
रंगो का त्यौहार है।
जो लोगों के दिलों में,
रंग बिरंगी यादें भरता है।
देवर को भाभी से,
जीजा को साले से।
बड़े ही स्नेह प्यार से,
रंगों की होली खिलाता है।
और अपना प्यार,
रंगों से बरसता है।।
होली मिलने मिलाने का,
प्यारा त्यौहार है।
शिकवे शिकायते,
भूलाने का त्यौहार है।
और दिलों को दिलों से,
मिलाने का त्यौहार है।
सच मानो और जानो,
ये होली का त्यौहार है।।