उदय प्रताप कॉलेज के राजर्षि सेमिनार हाल में कल दिनांक 13 नवंबर 2024 को प्रातः 10.30 बजे से साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त कथाकार अलका सरावगी का ‘किस्सागोई बनाम कथा लेखन’ विषय पर व्याख्यान होगा। इस व्याख्यान की अध्यक्षता वरिष्ठ कथा… Read More
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हिन्दी साहित्य के कीर्ति-स्तम्भ हैं आचार्य रामचंद्र तिवारी
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में आयोजित ‘हिन्दी भाषा और साहित्य : आलोचना का मूल्य और डॉ. रामचंद्र तिवारी’ विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए हिमाचल प्रदेश के श्री राज्यपाल माननीय शिवप्रताप शुक्ल ने कहा… Read More
गाँधी जी और शास्त्री जी के विचारों का अनुसरण करना होगा
महात्मा गाँधी ने अपने विचारों को खुद पर और समाज पर लागू किया था। उन्होंने विचार और व्यवहार में अद्वैत स्थापित किया। वे शब्द और कर्म की एकता के कारण जाने जाते हैं इसीलिए उनका महत्व बढ़ जाता है। उक्त… Read More
कविता : इच्छा वीर सपूत की
माँ तिरंगे में लिपटकर जिस दिन में लाया जाऊँगा, तू उस पल रोना नहीं, माँ तू उदास होना नहीं। माँ मैं जब गहरी नींद में सो जाऊँ तू मीठी लोरी गा देना, तू हाथ प्यार का देना फेर ताकि हो संतृप्त मैं, चिर निद्रा में सो जाऊँ, पर तू उस पल रोना नहीं, माँ तू उदास होना नहीं। माँ, वीर सपूतों की गाथा सुना कर तूने पाला है अब मैं भी एक गाथा हूँ, जिसे कोई जननी सुनाएगी, पर तू उसे पल रोना नहीं, माँ तू उदास होना नहीं। जब हर आंगन झूमे खुशियों से जब खुशहाल हर परिवार दिखे, तो तू जान लेना माता, मैं कहीं गया नहीं मैं हूँ तेरे आसपास, मैं हूँ तेरे आसपास पर तू उस पल रोना नहीं माँ तू उदास होना नहीं। +180
हमारे समय की चुनौतियाँ और महात्मा गाँधी
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 155वीं जयंती के अवसर पर आज उदय प्रताप कॉलेज के राजर्षि सेमिनार हाल में हिंदी विभाग, समाजशास्त्र विभाग तथा राजर्षि कल्चरल क्लब के संयुक्त तत्वावधान में ‘हमारे समय की चुनौतियाँ और महात्मा गाँधी’ विषय पर एक… Read More
कविता : बचपन को पाना चाहता हूँ
मैं सबके सामने चिल्ला के रोना चाहता हूँ मैं फिर इक बार उस बचपन को पाना चाहता हूँ… न दुनिया की खबर थी तब, न पैसे की तलब थी तब न बंधन था ज़माने का, न चस्का था कमाने का वो गुज़रा… Read More
हिंदी दिवस : ‘पढ़ें हिंदी, बढ़े हिंदी’
हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी विभाग, उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी के द्वारा राजर्षि सेमिनार हाल में ‘पढ़ें हिंदी, बढ़े हिंदी’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में हिंदी विभाग, काशी हिंदू… Read More
कविता : हिंदी
भारत के माथे की बिंदी भाषा बड़ी ही प्यारी हिंदी। सीख रहे विदेशी हिंदी भूल रहे स्वदेशी हिंदी। क्यों शरमाते बोल रहे हो गर्वित होकर बोलो हिंदी। सागर है अक्षर-अक्षर में गागर में सागर है हिंदी। लगे कुँवारी होके सुहागिन अपने… Read More
हिंदी पत्र साहित्य और मित्र संवाद
पत्र-साहित्य ही वह विधा है जिसके द्वारा मनुष्य समाज में रहते हुए अपने भावों एवं विचारों को दूसरों तक पहुँचाता है। पत्र सूचना संप्रेषण का सबसे प्राचीनतम साधन है।प्राचीनकाल से ही पत्र का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व रहा… Read More