गदर पार्ट 1 को जब अधिकतर तथाकथित फ़िल्मी विद्वान समीक्षकों ने गटर बताया था, तब भी दर्शकों ने इस फ़िल्म को हिंदी सिनेमा के कालजयी फिल्मों के क्लब में शामिल कराकर उनका मुँह ऐसा बंद किया कि बेचारे वो करें… Read More

गदर पार्ट 1 को जब अधिकतर तथाकथित फ़िल्मी विद्वान समीक्षकों ने गटर बताया था, तब भी दर्शकों ने इस फ़िल्म को हिंदी सिनेमा के कालजयी फिल्मों के क्लब में शामिल कराकर उनका मुँह ऐसा बंद किया कि बेचारे वो करें… Read More
अजीब समस्या है मेरे देश में..खेलना, डांस करना, गाना गाना..सब कुछ पढ़ाई के बाद। भारतीय पहलवानों के साथ ऐसी घटनाएं बच्चों व उनके अभिभावकों पर प्रभाव तो जरूर डालने वाली है वैसे भी देश मे ज्यादातर अभिभावकों की यही सोच… Read More
ये पंक्तियां समाज के उन गौण पक्ष को इंगित करती हैं, जो समाज के समस्याओं से अलग है, जिसमें एक विवाहिता कलंकित स्त्री, पति से प्रताड़ित और छोड़ी हुई स्त्री आखिर कहां जाएंगी ? ये प्रश्न पर सब स्तब्ध हैं,… Read More
सिनेमा भाषा के प्रचार-प्रसार का एक बहुत ही अच्छा माध्यम है। सिनेमा में हर तरह की हिंदी के लिए जगह है। फिल्म में पात्रों की भूमिका व परिस्थतियों को देखकर ही भाषा का प्रयोग किया जाता है। जिससे प्रारंभिक दौर… Read More
सामाजिक सरोकारों से ओत-प्रोत प्रेमचंद द्वारा रचित ‘सेवासदन’ उपन्यास की रचना आज से लगभग सौ साल पहले 1918 में की गई थी। उर्दू में इस उपन्यास का प्रकाशन 1919 में ‘बाज़ारे-हुस्न’ के नाम से हुआ था। प्रेमचंद अत्यंत संवेदनशील उपन्यासकार… Read More
साहित्य को बचपन युवा और प्रौढ़ कि जीवन यात्रा के रूप में समाज राष्ट्र में भाष भाव के समन्वय और और सामाजिक परिपेक्ष्य में रिश्तों में उसके महत्व को समझने में कहानीकार डॉ पालरिया का कोई जोड़ नहीं है डस्टबिन… Read More
दो दिन से जुम्मन दो निवाले भी ठीक से नहीं खा पा रहा था । चाय पर चाय पीता और पेशाब जाता । उसके बाद बीड़ी पर बीड़ी पीता जाता और बेतरह खांसता था। उसकी खांसी इतनी देर तक चलती… Read More
वर्तमान युग में विज्ञापन हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। आज हमारी नज़र जहाँ-जहाँ भी जाती है वहाँ हमें विज्ञापन ही विज्ञापन नज़र आते हैं। सवेरे-सवेरे आँख खुलते ही गर्म-मा-गर्म चाय की चुस्की के साथ जब हम अखबार… Read More
ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत जब देश में हुई तो किसी को इतना अंदाजा नहीं था कि यह अपनी पकड़ भारतीय दर्शकों पर इतनी ज्यादा बना देगा ।शुरुआती वेब सीरीज को देखकर लगा कि बस कुछ एक कंटेंट ऐसे हैं जिन्हें… Read More
“अब जब तुम देखोगे चेहरा अपना पहचान जैसा सब कुछ, कुछ नहीं होगा कहीं भी, बदली-बदली है विश्व संरचना इन दिनों” बदलती हुई इस विश्व संरचना के दौर में जहाँ दुनियाँ तेजी से बदल रही है। वहीं उसके भीतर की… Read More