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लघुकथा : खून सनी रोटी

दो दिन से जुम्मन दो निवाले भी ठीक से नहीं खा पा रहा था । चाय पर चाय पीता और पेशाब जाता । उसके बाद बीड़ी पर बीड़ी पीता जाता और बेतरह खांसता था। उसकी खांसी इतनी देर तक चलती… Read More

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लेख : सेक़ुअल के भरोसे ओटीटी

ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत जब देश में हुई तो किसी को इतना अंदाजा नहीं था कि यह अपनी पकड़ भारतीय दर्शकों पर इतनी ज्यादा बना देगा ।शुरुआती वेब सीरीज को देखकर लगा कि बस कुछ एक कंटेंट ऐसे हैं जिन्हें… Read More

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समीक्षा : लाज़िम है कि हम भी देखेंगे

मैंने भी "द कश्मीर फाइल्स" देख ली है। पहली बार कोई फ़िल्म इतनी चर्चा के बाद देखी। मेरी मित्र सूची में शामिल अभिनेत्री भाषा सुम्बली और और हमारे भैय्या अरुण शेखर जी के करीबी मित्र अतुल श्रीवास्तव जी भी फ़िल्म… Read More

lata mangeshkar

मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान है : सुर साम्राज्ञी भारतरत्न लता मंगेशकर

सुर साम्राज्ञी, स्वर कोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर हमारे बीच सदा युगों-युगों तक अपने गीतों के माध्यम से उपस्थित रहेंगी। संगीत का मतलब लता मंगेशकर कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। या यूँ कहें कि संगीत का जब भी नाम लिया… Read More

lata mangeshkar

रहें ना रहें हम महका करेंगे : स्वर कोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर

भारतीय सिनेमा और संगीत की दुनिया की सुर साम्राज्ञी, स्वर कोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर जी आज हमारे बीच नहीं रहीं। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम साँसे ली। बीते कुछ दिनों से उनका अस्पताल में कोरोना का इलाज… Read More

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आई हेट टीयर्स : बॉलीवुड की आँखों में लाए पुष्पा ने आँसू

पुष्पा, नाम सुनकर फ्लावर समझी क्या? फायर है मैं। अब ये फायर किसी और के लिए हो न हो मगर इस बॉलीवुड के लिए जरूर फायर बन गया है। 83 जैसी फ़िल्म भी फ्लॉप हो गई और इससे पहले बड़े… Read More

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लेख : हिंदी सिनेमा में हिंदी भाषा का बदलता स्वरुप

सिनेमा भाषा के प्रचार-प्रसार का एक बहुत ही अच्छा माध्यम है। सिनेमा में हर तरह की हिंदी के लिए जगह है। फिल्म में पात्रों की भूमिका व परिस्थतियों को देखकर ही भाषा का प्रयोग किया जाता है। जिससे प्रारंभिक दौर… Read More

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सीक्वल के भरोसे ओटीटी

ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत जब देश में हुई तो किसी को इतना अंदाजा नहीं था कि यह अपनी पकड़ भारतीय दर्शकों पर इतनी ज्यादा बना लेगा। शुरुआती वेब सीरीज को देखकर लगा कि बस कुछ एक कंटेंट ऐसे हैं जिन्हें… Read More

हिंदी सिनेमा और साहित्य में संवेदना का संकट

“अब जब तुम देखोगे चेहरा अपना पहचान जैसा सब कुछ, कुछ नहीं होगा कहीं भी, बदली-बदली है विश्व संरचना इन दिनों” बदलती हुई इस विश्व संरचना के दौर में जहाँ दुनियाँ तेजी से बदल रही है। वहीं उसके भीतर की… Read More

PAAN MASALA

नशे की पहली ख़ुराक : इलायची की आड़ में गुटखे का विज्ञापन

फिल्मों के बाद अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने जिस तरीके से सपनों की दुनिया दिखलाने के साथ-साथ इंसानी रिश्तों, जज़बातों और उसके भावनाओं को सबसे ज्यादा कैश कराने का काम किया है, उसमें विज्ञापनों की एक बहुत बड़ी दुनिया है। जो… Read More