नारी-सशक्तीकरण समय की आवाज़ भी है और माँग भी। इसे नारी-विमर्श का क्रियात्मक रूप कह सकते हैं। यह एक सामाजिक उपक्रम ही कहा जाएगा। कहीं-कहीं इसके लिए नारी सबलीकरण पद का भी प्रयोग होता है। इसका विशेष प्रयोग प्रशासनिक और… Read More

नारी-सशक्तीकरण समय की आवाज़ भी है और माँग भी। इसे नारी-विमर्श का क्रियात्मक रूप कह सकते हैं। यह एक सामाजिक उपक्रम ही कहा जाएगा। कहीं-कहीं इसके लिए नारी सबलीकरण पद का भी प्रयोग होता है। इसका विशेष प्रयोग प्रशासनिक और… Read More
सामाजिक सरोकारों से ओत-प्रोत प्रेमचंद द्वारा रचित ‘सेवासदन’ उपन्यास की रचना आज से लगभग सौ साल पहले 1918 में की गई थी। उर्दू में इस उपन्यास का प्रकाशन 1919 में ‘बाज़ारे-हुस्न’ के नाम से हुआ था। प्रेमचंद अत्यंत संवेदनशील उपन्यासकार… Read More
दीपक समान जलकर रोशनी जग में फैलाए। सच और झूठ बीच अन्तर का बोध कराके सही, गलत का फ़र्क हमें सिखलाते। कभी संभाला तो कभी डांट लगाई माता-पिता सी, जिन्होंने। नए ज्ञान से अवगत कराके हमें सपनों को सच करने… Read More
वर्तमान युग में विज्ञापन हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। आज हमारी नज़र जहाँ-जहाँ भी जाती है वहाँ हमें विज्ञापन ही विज्ञापन नज़र आते हैं। सवेरे-सवेरे आँख खुलते ही गर्म-मा-गर्म चाय की चुस्की के साथ जब हम अखबार… Read More
प्रवासी साहित्यकारों में सुधा ओम ढींगरा का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। सुधा ओम ढींगरा का साहित्य दो संस्कृतियों पर आधारित होने के कारण उनके साहित्य की मूल संवेदना प्रवासी न होकर ‘अन्त: सांस्कृतिक’ पर आधारित हैं। भारतीय… Read More
अन्नदाता होकर भी ख़ुद पानी पीकर अपना भूख मिटाएँ पर जग को भूखा न सोने दे ऐसे अन्नदाता किसान हमारे… चाहे आँधी आये या तूफ़ान चिमिलाती धूप हो या कड़ाके की ठण्ड मेहनत करने से यह नहीं घबराते बच्चे समान… Read More
मेहनत वह अनमोल कुंजी है, जो भाग्य के बंद कपाट खोल देती है। यह राजा को रंक और दुर्बल मनुष्य को सबल बना देती है। यदि यह कहा जाए कि श्रम ही जीवन है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। गीता… Read More
न तो वह शिक्षित नहीं क़ानून का ज्ञान बेहद आम सी औरत हिमाचल में था आशियाना उनका किंकरी देवी था जिनका नाम…… पहाड़ों से बेहद लगाव खनन माफिया से बचाने पहाड अकेली ही विरुद्ध खड़ी हो गई उनके…. डराया गया,… Read More
तुम्हें अब उठना होगा नारी,क्यों तू हारी तोड़ चुप्पी अपनी आवाज़ उठानी होगी बहुत सह लिया तुमने अब नहीं सहेगी बहुत जिया अपनों के लिए तुम्हें अब अपने लिए भी जीना होगा…. देखा जाएगा जो भी होगा यह ख़ुद… Read More
आओ मिलकर हम सब सुंदर भारत का निर्माण करें…. किसी बच्चे का दामन न छूटे अपने बचपन से रोंदे न कोई उसके सपनों को बाल श्रम के घन से कोई छीने न इनसे इनका भोलापन फिर न कोई छोटू मज़बूर… Read More