अन्नदाता होकर भी ख़ुद
पानी पीकर अपना भूख मिटाएँ
पर जग को भूखा न सोने दे
ऐसे अन्नदाता किसान हमारे…
चाहे आँधी आये या तूफ़ान
चिमिलाती धूप हो या
कड़ाके की ठण्ड
मेहनत करने से यह नहीं घबराते
बच्चे समान करते
फसल की देखभाल…
जग न सोये भूखा
उसके लिए न जाने
कितनी ही रातें
बिना सोये गुजारते
अपने परिवार से पहले
देश की चिंता इन्हें सताएँ…
कहने को तो संविधान
हमारा सबसे प्यारा
सबको मिलता समान
अधिकार यहाँ
फिर क्यों आज
अन्नदाता किसान हमारे
घर बार छोड़
सड़क पर उतरने को हुए मज़बूर…
फिर भी नहीं मिल
पा रहा उन्हें न्याय।