ऐसा रंग दे मोहे रँगरेज़ा, वृन्दावन हो जाऊँ पिया
तू बन जाये राधा रानी, मैं किशना हो जाऊँ पिया।
होली खेलें किशन मुरारी, भर भर मारें रंग पिचकारी
सूखी देह रही ये सारी, भींग गयी सिगरी अँगियारी
बाँह पकड़ के रंग दे ऐसे, प्रेम मगन हो जाऊँ पिया।
तू बन जाये राधा रानी, मैं किशना हो जाऊँ पिया।।
खेलें मसानी चल काशी में, शिव गौरा सी खेलें होली
भंग तरंग बह फागुन गावें, गंगा तट पर करें ठिठौली
जौबन रंग दे, जीवन रंग दे, मैं जोगिन हो जाऊँ पिया।
तू बन जाये राधा रानी, मैं किशना हो जाऊँ पिया।।
तू रसखान के दोहों में रंग दे, ठुमरी बन संग उड़े गुलाल
छाप तिलक ख़ुसरो की गाऊँ, सूरदास के सबद कमाल
ऐसे रंग से रंग रूह कान्हा तेरा भजन हो जाऊँ पिया।
तू बन जाये राधा रानी, मैं किशना हो जाऊँ पिया।।