अगर लिखती कविता मैं, तो लिखती ख़ुद पर स्वयं की प्रशस्ति में, ख़ुद को समर्पित । अगर गाती गीत मैं, गुनगुनाती स्वयं को स्वयं के आह्लाद को या स्वयं की पीड़ा को । अगर उड़ती मैं, तो उड़ती अपने आकाश… Read More

अगर लिखती कविता मैं, तो लिखती ख़ुद पर स्वयं की प्रशस्ति में, ख़ुद को समर्पित । अगर गाती गीत मैं, गुनगुनाती स्वयं को स्वयं के आह्लाद को या स्वयं की पीड़ा को । अगर उड़ती मैं, तो उड़ती अपने आकाश… Read More
सामाजिक सरोकारों से ओत-प्रोत प्रेमचंद द्वारा रचित ‘सेवासदन’ उपन्यास की रचना आज से लगभग सौ साल पहले 1918 में की गई थी। उर्दू में इस उपन्यास का प्रकाशन 1919 में ‘बाज़ारे-हुस्न’ के नाम से हुआ था। प्रेमचंद अत्यंत संवेदनशील उपन्यासकार… Read More
केदारनाथ सिंह हिंदी कविता की मुख्यधारा के महत्त्वपूर्ण कवियों में से एक थे। ‘बाघ’ उनके द्वारा रचित एक लम्बी कविता-श्रृंखला है, जिसमें छोटे-बड़े 21 खंड है। ‘बाघ’ कविता दो काल खंडों में लिखी गयी है, इसके पहले रचना-खंड में 16… Read More
वर्तमान युग में विज्ञापन हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। आज हमारी नज़र जहाँ-जहाँ भी जाती है वहाँ हमें विज्ञापन ही विज्ञापन नज़र आते हैं। सवेरे-सवेरे आँख खुलते ही गर्म मा गर्म चाय की चुस्की के साथ जब… Read More
शरद सिंह हिन्दी-साहित्य में एक सशक्त स्त्री-विमर्शकार के रूप में उभर कर सामने आये हैं। इन्होंने साहित्य की प्रत्येक विधाओं में अपनी लेखनी चलाई हैं, जिसमें उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक संग्रह, काव्य संग्रह, जीवनी के साथ पत्रकारिता का रूप भी… Read More