आगे निकलने की होड़ छोड़
मिलकर कदम बढ़ाओ
बदलो न रास्ता
मुश्किल में देख
बन दुख में साथी
दूसरों की हिम्मत बँधाओ
घर, बाहर
बहू -बेटी, महसूस
सुरक्षित करें
हो न शोषण
मिले सम्मान
ऐसा तुम संसार बसाओ।
हो न
कन्या भ्रूण हत्या
केवल पढ़ाओ नहीं उसे
सपनों की उड़ान की
आज़ादी दिलवाओ
भ्रष्टाचार, अत्याचार
का मिटे निशान
भाईचारे की रीति हो
ऐसा प्रेम का तुम संसार रचाओ।
सबको मिले न्याय
ठोकर न खाए आम जन
दर दर की
ऐसा न्यायतंत्र बनाओ।
सबको मिले रोज़गार
भूखा न सोए
कोई मजबूर
सिर पर सबके हो छ्त
बेसहारा को सहारा मिले
सम्मान बड़ों का हो
दुश्मन भी बढ़ाए दोस्ती का हाथ…
ऐसी दुनिया का निर्माण कराओ!