तो हस्तिनापुर के समीप इंद्रप्रस्थ जो कि अब दिल्ली के नाम से जाना जाता है , यही मेरे व्यंग्य का खांडव वन रहा है ।अब व्यंग्य के कई अर्जुन मेरे इस खांडव वन अर्थात व्यंग्य लोक को जलाने पर आतुर… Read More

तो हस्तिनापुर के समीप इंद्रप्रस्थ जो कि अब दिल्ली के नाम से जाना जाता है , यही मेरे व्यंग्य का खांडव वन रहा है ।अब व्यंग्य के कई अर्जुन मेरे इस खांडव वन अर्थात व्यंग्य लोक को जलाने पर आतुर… Read More
पाकिस्तान के भूतपूर्व गृहमंत्री शेख रशीद दक्षिण एशिया की राजनीति में मनोरंजन के प्रमुख साधन माने जाते रहे थे , ये हजरात वही हैं जो इंडिया पर पाव किलो वजन के परमाणु बम मारने की धमकी दिया करते थे। जब… Read More
जुड़ती है सड़क एक सड़क से बासी रोटी ने महका रखा है घर को मैं कौन,निश्चित मैं मौन हूँ टूटी हैं बेड़ियां ,लड़कर थकी नहीं ,सड़क का कूड़ा , समय से लड़ती कूची दिमाग का दही बनाती है कविता ”… Read More
प्रश्न – हिंदी साहित्य के वर्तमान परिवेश में मठ और मठाधीशों की क्या स्थिति है ? उत्तर- हिंदी साहित्य इस समय मठ और मठाधीशों के कम्रिक रूपांतरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है । कोरोना काल में यात्रा करने की… Read More
“काठ का घोड़ा,लगाम रेत की ,नदी पार तैयारी घटिया कला ,अछूती भाषा,बनते काव्य शिकारी ” कविवर अष्टभुजा शुक्ल की ये कविता ,आजकल घोषित हो रहे काव्य पुरस्कारों के बाबत बिल्कुल सटीक है ।लोग पुरस्कार पाते हैं तब नहीं कहते है… Read More
बोलो जुबाँ केसरी (व्यंग्य) ‘कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उसको भाते होंगे “ जी हाँ उसको गुटखा बहुत भाता था ,वो गुटखे के बिना न तो रह सकता था और न… Read More
सब कुछ समेटा जा रहा था , आंदोलन समाप्त हो चुका था । आंदोलन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से जुड़े लोग भी अपने उन पुराने दिनों में लौटने की तैयारी में जुटे थे ,जिनको वो काफी पीछे छोड़… Read More
फुटपाथ के दुकानदार ने सख्त लहजे में कहा “ यहां से जाओ चाचा , अस्सी रुपये में ये चप्पल नहीं मिलेगी,बढ़ाओ अपनी साइकिल यहाँ से “। ये सुनकर वो सोच में पड़ गए कि फुटपाथ की सबसे सस्ती दुकान पर… Read More
मुंबई के मलाड वेस्ट में मालवणी के गेट नम्बर सात पर मन्नू माइकल की मार्ट पर रेग्युलर अड्डेबाज जुटे। मुम्बई भी अजब है यहां बंदर विहीन बांद्रा है ,चर्च गेट स्टेशन पर कहीं चर्च नहीं है उसी तरह मालवणी में… Read More
दिल्ली का पुस्तक मेला समाप्त हो चुका था ,धर्मराज युधिष्ठिर हस्तिनापुर के अलावा इंद्रप्रस्थ के भी सम्राट थे ।अचानक यक्ष प्रकट हुए ,उन्होंने सोचा कि चलकर देखा जाये कि धर्मराज अभी भी वैसे हैं या बदल गए जैसे कि मेरे… Read More