चेतना पारीक के कलकत्ते में किसी तलाश में आया हूँ मैं, काफी सुना था कि ये आनन्द और प्रेम की नगरिया है, उसी मृग-मरीचिका की तलाश का पर्याय है चेतना पारीक, चेतना पारीक जब होती भी तब भी वह गुमशुदा… Read More
![gumshuda hansi](https://sahityacinemasetu.com/wp-content/uploads/2024/03/gumshuda-hansi.jpg)
चेतना पारीक के कलकत्ते में किसी तलाश में आया हूँ मैं, काफी सुना था कि ये आनन्द और प्रेम की नगरिया है, उसी मृग-मरीचिका की तलाश का पर्याय है चेतना पारीक, चेतना पारीक जब होती भी तब भी वह गुमशुदा… Read More
“आइए महसूस कीजिये पब्लिसिटी के ताप को, मैं फिल्मवालों की गली में ले चलूंगा आपको” तो ख़्वातीनो हजरात मायानगरी की इस चमक-दमक से भरी दुनिया की सैर में आपका खैर मकदम है। इस रुपहली और मायावी दुनिया का एक बेफिक्र… Read More
“कल का फीचर किस पर रहेगा मैम” नुसरत ने योगिता जी से पूछा ? “कल का फीचर औरतों के गहरे सांवले रंग यानी डार्क काम्प्लेक्सन पर रहेगा” ये कहकर वो फेयरनेस क्रीम अपने चेहरे और गर्दन पर मलने लगी ।… Read More
तब तुमने कविता लिखी बाबूजी जब फांसी पर झूला किसान, जब गिरवी हुआ उसका खेत और मकान, जब बेचा था उसने बीवी का अन्तिम गहना, तब भी दूभर था उसका ज़िंदा रहना, वो हार गया आखिर जीवन की बाजी, तब… Read More
नहीं आता है मुझको आह का गान, वियोगी कवि सी नहीं मेरे आलाप की तान, मैं क्यों कर न सका वैसा ही करुण विलाप, जैसे कौंच खग ने किया था वेदना का प्रलाप, मेरे शब्द नहीं बन पाए पीड़ा की… Read More
लोगों को इस साल में भले ही कुछ नयापन नजर न आ रहा हो, हमें तो मौजा ही मौजा ही दिख रहा है । चुनावी साल है तो जनता जनार्दन की बल्ले -बल्ले रहने वाली है । व्यंग्यकार को चिकोटी… Read More
पाकिस्तान की एक रिपोर्टर कुदरत बलोच ने वहां के निवर्तमान कप्तान बाबर आजम से पूछा – “ अब आप कप्तान नहीं रहे, ये कैसा कुदरत का निजाम है “ ? बाबर – “देखें जी कुदरत ये निजाम नहीं आजम है।… Read More
तुम अगले जन्म में मिलना तब शायद पांव में न बंधी होगी रूढ़ियों की जंजीर, परम्पराओं के बोझ तले न सिसके तब यूँ मेरी पीर, तब आदर्श नारी बनने की अपेक्षाओं से पहले समझी जाऊंगी शायद एक सुकुमार सी लड़की,… Read More
कारगिल युध्द के बाद भारत के अनमोल रत्न सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि… “जब देश की सीमा पर हमारे जवान पाकिस्तान से युद्ध लड़ रहे हों तो, ऐसे समय में पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने का कोई मतलब नहीं है”।… Read More
अंदाजा लगाता हुआ आया था वह अपने ही घर में, ऐसा लगता था जैसे आखिरी बचा हुआ बाशिंदा हो शहर में, घर का दरवाजा खोला था उसने बहुत आहिस्ता, किसी नजर से पड़े न इस वक्त उसका वास्ता, कोई बाहर… Read More