तुम अगले जन्म में मिलना
तब शायद पांव में न बंधी होगी रूढ़ियों की जंजीर,
परम्पराओं के बोझ तले न सिसके तब यूँ मेरी पीर,
तब आदर्श नारी बनने की अपेक्षाओं से पहले
समझी जाऊंगी शायद एक सुकुमार सी लड़की,
तब फर्ज की बलिवेदी पर नहीं चुनी जाएगी केवल स्त्री,
मादा है तो इसकी क्या इच्छा?
वह क्या चाहे, किसने ये पूछा?
हो सकता है तब पाऊं मैं भी मौका,
तुम सदृश कोई प्रियतम चुनने का,
प्रियतम मेरे,
तुम भी तो औरत को इंसान समझने से पहले,
कोई चीज समझते जिसे काबू में कर लें,
तब जीवन में शायद कोई खराबी न हो,
हो सकता है तब मेरा बाप शराबी न हो,
मेरे बाप के इर्द -गिर्द जो
रहती है उनका नशा मंडली,
मेरी माँ को हासिल न कर पाने पर
उसे न कहे कुलटा और मनचली,
मेरे प्रियतम, मेरी तो बात ही छोड़ो,
मुझसे मोहपाश का ये बंधन तो तोड़ो,
तब शायद मेरी अबोध सी छोटी बहन,
जिसका अभी अविकसित है तन और मन,
जिस पर फेंके जाते रिझाने के जाल,
अब बच्ची नहीं उसे समझते हैं कुछ लोग माल,
इतनी चौंकी रहती है वह छोटी सी बच्ची ,
वात्सल्य को भी वह कामुकता है समझती,
वो मुझसे ज्यादा सवाल तो नहीं करती,
मगर उसे क्या -क्या किसने कहा ये जरूर बताती है,
ये सब देख -सुनकर और खतरों का अंदाजा लगाकर ही
मेरी रूह फना हो जाती है,
मेरे प्रियतम,
तुम मेरे छोटे भाइयों को कहा करते हो बेगैरत अक्सर,
क्योंकि वो अपने दिन बिताते हैं रिश्तेदारों के घर पल कर ,
यूँ तो कर्जे में डूबा है रोम-रोम हमारा,
पर इज्जत से जीने की खातिर हमें ये सब है गवारा,
मेरे प्रियतम,
मुझसे इतना प्यार करने के बावजूद,
तुम हासिल न कर सके मेरा वजूद,
क्या यही है वह प्रेम का ब्रम्हास्त्र,
आकर्षण जिसे न कर सका परास्त,
तुम दूसरे पुरुषों जैसे नहीं तो क्या ?
फिर भी है मुझमें कुछ शर्म -हया?
मगर मेरे प्रियतम,
ये भी है इक जीवन का कड़वा सच,
शराबी की बेटी की उतनी नहीं इज्जत,
तुम मुझसे ही क्यों प्रेम की लगाये बैठे आस ?
सब कहेंगे मैंने कि मैंने रुप-जाल में लिया तुम्हे फांस,
तुमसे क्या वादा करूँ या पूरी करूँ कोई अपेक्षा,
तुमसे मिलना मेरी नहीं विधि की थी इच्छा,
मेरे प्रियतम,
मैं तुम्हारी पत्नी बनूँ या बनूँ ये तो भविष्य की बात है,
अभी तो मेरी ज़िंदगी में दूर -दूर तक सिर्फ लम्बी रात है,
फिलहाल तो यही सच है कि
मैं एक शराबी की बेटी हूँ,
और इज्जत से जीने की खातिर अपनी आन पर डटी हूँ,
मैं एक ऐसी गर्म गोश्त की चिड़िया बनी रहती हूँ
जो गिद्धों के घोंसले में खुद को बचाये फिरती हूँ,
तुम्हारे सच हमारे सच के साथ शायद हमें ऐसे ही जीना है,
हमें जीवन का हलाहल यूँ ही अभिशप्त होकर पीना है,
मेरे प्रियतम,
अगले जन्म में तुम बनना लड़की और मैं बनूंगी लड़का,
काश ऐसा हो कि भगवान की भी हो यही इच्छा,
तब देखेंगे तुम्हारी बहादुरी और विद्रोह की कूवत,
तब तुम मेरी लाचारी और असमंजस से न करोगे नफरत,
फिलहाल मेरे प्रियतम,
मेरी जीवन में अभी बहुत है पीर,
तुमसे विनती है न बदलो मेरी तकदीर ,
मेरे हमनवां मुझे इस जीवन में ऐसे ही है रहना ,
मेरे प्रियतम, अब तुम अगले जन्म में मिलना ।