happy new year

लोगों को इस साल में भले ही कुछ नयापन नजर न आ रहा हो, हमें तो मौजा ही मौजा ही दिख रहा है ।
चुनावी साल है तो जनता जनार्दन की बल्ले -बल्ले रहने वाली है ।
व्यंग्यकार को चिकोटी शब्दों की चिकोटी काटने के खूब मौके मिलेंगे ।
भारत की क्रिकेट टीम ने कायदे से हारना शुरू कर दिया है तो क्रिकेट विश्वकप की हार की टीस कुछ कम होगी ,क्योंकि बड़ी हार छोटी हार के दुख को भुलाने में मदद करती है ।
शेयर बाजार पहले दिन हरियाली में बंद हुआ तो आगे मिडिल क्लास का पोर्टफोलियो बढ़ेगा।
फिक्र न करें साबुन,मंजन ,तेल इस साल भी बच्चन साहब बेचते रहेंगे और सेट मैक्स पर सूर्यवंशम दिखाई जाती रहेगी जो कि अमरता का वरदान पा चुकी है अश्वत्थामा की तरह।
अपनी और देश की सुरक्षा को लेकर कतई चिंतित न हों बोटोक्स और मेकअप के साथ वीयफएक्स के जरिये शाहरुख खान और सलमान ख़ान रा के एजेंट बनकर चीन और पाकिस्तान के हमलों से आपको सुरक्षित रखने की गारंटी देते रहेंगे टाइगर,पठान ,जवान आदि बनकर। जिस तरह से सलमान और शाहरुख निरन्तर देश की सुरक्षा रा एजेंट बनकर कर रहे हैं सरकार को अपने सुरक्षा बजट पर विचार करना चाहिए ।

नए कवियों ने सीधे सीधे नए साल की शुभकामना देने के बजाय कविता के जरिये शुभकामना देने की सुनामी ला दी है । कोई किसी की कविता पढ़ न रहा सब एक दूसरे को कविता ठेल रहे हैं ।
आइए कुछ पुराने उस्तादों ने नए साल पर क्या कहा था उससे भी रूबरू हो लें –

मिर्जा गालिब ने नये साल कुछ यूं कहा है-
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़ –
इक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है

फैज लुधियानवी ने नये साल का स्वागत कुछ इस तरह से किया है-
हर तरफ़ ख़ल्क़ ने क्यों शोर मचा रखा है
रौशनी दिन की वही तारों भरी रात वही
आज हम को नज़र आती है हर एक बात वही
आसमान बदला है अफ़्सोस ना बदली है ज़मीं
एक हिंदिसे का बदलना कोई जिद्दत तो नहीं
अगले बरसों की तरह होंगे क़रीने तेरे
किसे मालूम नहीं बारह महीने तेरे
जनवरी फ़रवरी मार्च में पड़ेगी सर्दी
और अप्रैल मई जून में हो गी गर्मी
तेरा मन दहर में कुछ खोएगा कुछ पाएगा
अपनी मीआ’द बसर कर के चला जाएगा
तू नया है तो दिखा सुब्ह नई शाम नई
वर्ना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई
बे-सबब लोग क्यों देते हैं मुबारक-बादें
ग़ालिबन भूल गए वक़्त की कड़वी यादें
तेरी आमद से घटी उम्र जहाँ से सब की
फ़ैज़’ ने लिक्खी है ये नज़्म निराले ढब की

वैसे शाब्दिक शुभकामना का कोई खास महत्व न है अगर किसी ने नए साल पर खाने पीने के लिए बुलाया है तो उसे ही असली शुभकामना मानें।
डिस्क्लेमर- बीवी को कविता सुनाकर नया साल मनाने से परहेज करें कुछ उपहार भी दें वरना नए साल में पुराने हथकंडे आप पर अपनाए जा सकते हैं, स्वस्थ रहें मस्त रहें। नव वर्ष मंगलमय हो

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