थोड़ी खुशियां, थोड़े गम थे,
यादें रह गई बाकी।
जिनको जो मिलना था मिल गया,
कुछ को आशा जरा सी।
‘अजस्र’ आशा से जीवन चलता,
दिन-दिन, पल-पल गिन-गिन।
आस टूटे तो श्वास टूट जाए,
गुजरा साल वो अपना ही।
दिन-दिन, महीनों गुजर गए,
गुजर गया यह साल।
साल-साल से गुजरे शताब्दी,
जाने कौन समय की चाल?
‘अजस्र’ सीख ले गुजरे समय से,
समय आगे, अनुभव अनूप।
जीवन पूंजी क्षरण हो रही,
आनंद धन ही बने सवाल।