kudrat ka nizam babar

पाकिस्तान की एक रिपोर्टर कुदरत बलोच ने वहां के निवर्तमान कप्तान बाबर आजम से पूछा –
“ अब आप कप्तान नहीं रहे, ये कैसा कुदरत का निजाम है “ ?
बाबर – “देखें जी कुदरत ये निजाम नहीं आजम है। आप बलोच लोग जान बूझकर आजम को निजाम कहती हैं । बलोच लोग इंडिया से मिले हुए हैं और इसीलिये हमारे नाम को बिगाड़ते रहते हैं। माना पाकिस्तान के पंजाबी पाकिस्तानियों को इंडिया में वर्ल्ड कप का वीजा नहीं मिला मगर बलूचिस्तान वाले लोग तो इंडिया में काफी ज्यादा हैं तो उन्होंने हमें सपोर्ट क्यों नहीं किया, पहले कुदरत आप हमें ये बताएं ?
कुदरत – “सुना है शुरू में आपकी टीम को इंडिया में मनपसंद गोश्त खाने को नहीं मिला । पाकिस्तान में कुछ लोग तो कहते हैं कि इसीलिये आप इतने मैच हार गए।”
बाबर-
“देखें जी, मनपसंद गोश्त की क्या बात कर रही हैं आप ? वहाँ तो कोई गोश्त की बात ही न कर रहा था, जब हम इंडिया में थे तब काफी टाइम तो नवरात्र चल रहा था । तब वहाँ पर तो लोग दूध – फल ही ख़ा रहे थे बहुत सारी दूसरी टीमों के प्लेयर भी। और इंडिया के प्लेयर तो यही शाकाहारी खा कर जीत भी रहे थे तो हमने सोचा कि हार का सिलसिला तो बदल नहीं पा रहे हैं तो अपने खाने का मेन्यू ही बदलकर देखते हैं। शायद इसी वजह से जीत नसीब हो जाये।”
कुदरत –
“ ओह लोगों को कहते सुना है कि आपकी टीम को होटल का खाना पसंद नहीं आया इसलिये आप लोगों ने कोलकाता में बाहर से बिरयानी मंगवा कर खाई।”
बाबर-
“देखें जी, दुनिया-जहान के लोग पाकिस्तानी टीम के इंडिया में सिर्फ खाने की ही बातें कर रहे हैं।मानों हम जन्म के भुक्खड़ हों वहां सिर्फ खाना खाने ही गए हों। ऐसी बात नहीं है, बस लोगों की आदत है कि पाकिस्तानियों के खाने को इश्यू बना देते हैं। जब भी कोई टीम मैच हारती हैं तो लोग सोशल मीडिया पर उस टीम को “गुडलक नेक्स्ट टाइम” बोलते हैं पर हमारी टीम जब हारती है तो सोशल मीडिया पर लोग मीम शेयर करके हमको कहते हैं कि खूब खाई मुफ्त की बिरयानी। अब आगे न मिलेगी कभी। कहो पाकियों कितना आटा भेजूं ?लाहोल विला ,,,। अब कोलकाता में बिरयानी की जो बात आपने पूछी? मुझे तो ये इंडिया के रा की गहरी साजिश लग रही है।”
कुदरत –
“आपके बिरयानी खाने में इंडिया की साजिश कैसे हो गई क्या उन्होंने बिरयानी में कोई ऐसी दवा मिला दी थी जिसे खाकर पाकिस्तानी टीम की परफॉर्मेंस कमजोर हो गई और वो अपने मैच हार गई ।“
बाबर कुछ सोचते हुए बोला –
“देखें जी, दवा का तो पता नहीं मगर इंडिया की रा ने अगर बिरयानी पर कोई दुआ की होती, तो हमारे पास टीम में मौलवी मोहम्मद रिजवान हैं जो फूंक मारकर दुआ नजर उतार देते हैं। ये और बात है कि विकेटकीपिंग में उनकी दुआ और फूंक काम न करती और बल्लेबाज आउट न होते ।
कुदरत –
“ आप पाकिस्तान की अजीम हस्तियों में से एक हैं। थोड़ा संजीदा गुफ्तगू कीजिये। आप अपने मुल्क के लोगों को कैसे समझाएंगे कि बिरयानी में इंडिया की रा ने साजिश कर दी और कर दी है तो उसके के बारे में डिटेल से बताएं?”
बाबर –
“जी हमें इंडिया की रा की साजिश का शक था । उन्होंने इंडिया के प्लेयर्स को हल्की गेंदे और स्प्रिंग लगे बल्ले दिए, ये बात पाकिस्तान में अब बहुत से लोग कह ही रहे हैं। पर अब लगता है कि खाने में इंडिया में कोई साजिश नहीं हुई। इंडिया के लोग कहते थे खा लो दबा के क्या पता कल टीम में हो न हों। तो हम खा ही रहे थे दबा के । हुआ यूं कि बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों बहुत बुरी तरह अपने मैच हार रहे थे। दोनों की बहुत बेइज्जती हो रही थी। बेइज्जती जब साझी हो जाती तो दुख दर्द कम हो जाता। तो जब कोलकाता गए तो वहाँ बांग्लादेश के कैप्टन ने हमको “माछेर झोल” खिलाने का दावत दिया और पूरी पाकिस्तानी टीम के लिये “माछेर झोल ” का ऑर्डर किया। जिस रेस्टोरेंट से शाकिब ने खाना मंगवाया था उसको जब पता लगा कि ये सारे खाने का आर्डर पाकिस्तानी टीम के लिये है तो उसने समझा कि शाकिब ने गलती से ऑर्डर कर दिया है माछेर झोल का। सभी की तरह उसने भी समझा होगा पाकिस्तानी टीम है तो बिरयानी ही खाएगी। उसने साजिशन बिरयानी भेज दी होगी। हमने हमेशा की तरह बिरयानी खा ली और हमेशा की तरह मैच भी हार गए तो ये हुई इंडिया में हमारे साथ साजिश।”
कुदरत –
“लेकिन उसने अगर बंगाली डिश की जगह बिरयानी भेज दी थी तो आपने क्यों खा ली। खाने से पहले देखते नहीं क्या आप लोग?”
बाबर ने कुदरत को आग्नेय नेत्रों से घूरते हुए तल्खी से कहा –
“देखें जी, बलूचिस्तान अभी पाकिस्तान से अलग नहीं हुआ है जो आप ऐसी गैर जिम्मेदाराना बातें कर रही हैं । पाकिस्तान टीम एक बहादुर कौम है हम खाने से पहले थाली में ये नहीं देखते कि उसमें क्या है। बस टूट पड़ते हैं उसी तरह हम शाट मारने से न तो सामने ये देखते हैं कि सामने कौन सा गेंदबाज है ,बस टूट पड़ते हैं भले ही आउट हो जाएं। सो हमने बिरयानी खा ली और हम हार गए क्योंकि जब -जब हम बिरयानी खाते हैं, हम हारते ही रहे हैं।”
कुदरत ने मुस्कराते हुए पूछा –
“अच्छा ये बताएं कि आप लोग एक मैच में बार बार हमें क्यों याद कर रहे थे। जबकि आप लोग तो बलोचों से कोई वास्ता नहीं रखना चाहते थे । फिर हमें मदद को क्यों पुकारा?”
बाबर थोड़ा अकड़ते हुए –
“देखें कुदरत, हम पाकिस्तानी बलोचों की मदद न करते हैं और न ही उनसे मदद लेते हैं। फिर आपसे मदद का सवाल ही पैदा नहीं होता। आपका नाम कुदरत है लेकिन हम आपको नहीं बल्कि कुदरत यानी अल्लाह को याद कर रहे थे कि कुदरत के निजाम से कोई करिश्मा हो जाये और इंडिया में बारिश हो जाये ताकि हमें मैच में पॉइंट न गंवाना पड़े और दो पॉइंट तो हर्गिज भी गंवाने न पड़े। और मैच कैंसिल हो जाये तो कम से कम एक पॉइंट तो मिल जाये मगर इंडिया के रा ने यहां भी साजिश कर दी और पानी नहीं बरसने दिया जबकि आसमान में बादल थे ।इटने ट्वीट और दुआ के बाद भी कुदरत का निजाम हमारे हक में नहीं रहा इसीलिए तब पूरा पाकिस्तान कुदरत के निजाम की बात कर रहा था।”
कुदरत ये बात सुनकर मंद-मंद मुस्कराई और उसने पूछा-
“एक बात बताइये कि वीरेंद्र सहवाग ने आपके आखिरी मैच खत्म होने से पहले ही “बाय -बाय पाकिस्तान , पाकिस्तान से जिंदा भाग” क्यों कहा आप लोगों को ? उन्होंने तो टूर्नामेंट और आपके कोटे के मैच होने के पहले ही आपको भगाने की बात करके ये तो बड़ी बेइज्जती कर दी सहवाग ने आपकी टीम की। और ये भी बताएं ये जिंदा भाग का क्या मतलब था कहीं आप लोगों को मारने वारने का प्लान तो नहीं था कोई “ ये कहकर कुदरत खिलखिला कर हँस पड़ी।
बाबर ने ठंडी सांस लेते हुए कहा –
“देखें जी, सहवाग तो है ही बहुत मारने वाला आदमी। पहले भी उसने मार -मार के पाकिस्तान के बालरों का भुर्ता बना दिया था। पहले खेलता था तो मैदान में मारता था। अब रिटायर हो गया तो ट्वीट और टीवी पर कमेंट कर के मारे डाल रहा है। जबसे सहवाग कमला पसन्द खाकर ट्वीट करने लगा है, तब से तो हमारी और भी बहुत ज्यादा किरकिरी करने लगा है। ये भी इंडिया की साजिश है कि सहवाग रहता है तो इंडिया में है लेकिन उसे कहते हैं “मुल्तान का सुल्तान ।” हमें तो डर है कि ये कमला पसंद वाले मुल्तान में सहवाग के नाम पर अपनी एक फैक्ट्री न लगा दें। खैर जैसा कुदरत का निजाम ,क्या कर सकते हैं । सहवाग, हरभजन, गौतम गंभीर सब तो हमारे जले पर अभी तक नमक छिड़क रहे हैं।”
कुदरत –
“ आपको तो लोग किंग बुलाते थे फिर अचानक आपकी कप्तानी कैसे चली गई।”
बाबर –
“देखें जी, पहली बात तो जब पाक टीम जीत रही थी लोग मुझे किंग बुलाते थे अब वही लोग मुझे घण्टे का किंग बुलाते लगे हैं। रहा आपका दूसरा सवाल कप्तानी का? ये तो पाकिस्तान के क्रिकेट की रवायत रही कि हम हर वर्ल्ड कप के बाद अपना कप्तान बदल देते हैं। 1992 से यही रवायत है हमारे यहां। और ये कुदरत का नहीं बल्कि पीसीबी का निजाम है”।
कुदरत –
“ जी वो अफगानिस्तान की पाकिस्तान की जीत पर राशिद खान के साथ इरफान पठान का डांस ।“
बाबर ने रिपोर्टर की बात को बीच में काटते हुए कहा- “कुदरत भाग ,कुदरत भाग, अगर जान की सलामती चाहती है तो ज़िंदा भाग, बलोच लड़की ,रा की एजेंट , कुदरत जिंदा भाग।”
बाबर की चीख पुकार सुनकर कुदरत बलोच लाहौर से बलूचिस्तान की तरफ बेहिसी से से भागी ताकि ज़िंदा बच सके । वो जानती थी कि कल को किसी बलोच को कोई पाकिस्तानी पंजाबी कत्ल भी कर दे तो पाकिस्तान के लोग उसे कत्ल नहीं बल्कि कुदरत का निजाम कहेंगे।

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