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अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आज उदय प्रताप कॉलेज के हिंदी विभाग एवं समाजशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘स्त्री संघर्ष का सिलसिला : उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ’ विषय पर विज्ञान भवन के कक्ष संख्या 15 में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए महिला महाविद्यालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि स्त्री संघर्ष का सिलसिला वहाँ से शुरू होता है जब पुरूषों को ही इंसान माना जाता था, इस दायरे में स्त्रियां आती ही नहीं थीं। तब से शिक्षा, शासन, ज्ञान, विज्ञान,राजनीति जैसे क्षेत्रों में तमाम उपलब्धियों के बावजूद आज भी पितृसत्ता की बारीक जकड़न इतनी मजबूत है कि स्त्री अपने मन की पीड़ा और तनावों को प्रकट नहीं कर पा रही है। प्रोफेसर त्रिपाठी ने यह भी कहा कि आजाद देश में स्त्रियों की आजादी की लड़ाई अभी लंबित है। हिंदी सहित तमाम भाषाओं में लिखा गया बहुत सारा साहित्य स्री की बेदखली का बयान करता है।
इस संगोष्ठी में बोलते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर अनिता सिंह ने अपने विशिष्ट व्याख्यान में कहा गया कि हिंदुस्तान में स्री संघर्ष का सिलसिला कायदे से आजादी के बाद से शुरू होता है। यहाँ पर हमने स्त्रियों को संविधान में मताधिकार तो दे दिया, लेकिन उसे सर्वोच्च पदों का दायित्व देने से बचते रहे। उन्होंने आगे कहा कि अगर हम मजबूत समाज बनाना चाहते हैं तो स्त्रियों को केंद्र में लाना जरूरी है। महादेवी वर्मा की ‘श्रृंखला की कड़ियां’ के हवाले से बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि स्त्री की ओपीनियन केवल स्त्री से संबंधित मामलों में ही जरूरी नहीं है, जीवन के अन्य सभी मामलों में भी जरूरी है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि यद्यपि स्त्री से संबंधित कानूनों में पर्याप्त बदलाव हुए हैं लेकिन उन कानूनों की व्यावहारिक स्वीकार्यता संतोषजनक नहीं रही है। इसके बावजूद हिंदुस्तान में 1970 से आज तक महिलाओं के बारे में समाज के माइंड सेटप में बड़ा बदलाव आया है। कक्षाओं में लड़कियों की उपस्थिति पर्याप्त बढ़ी है। आज यू.पी. कॉलेज में 62 प्रतिशत लड़कियाँ पढ़ती हैं। कैंपस से लड़कियों की उपस्थिति से पर्याप्त सकारात्मक बदलाव आया है।

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संगोष्ठी का संचालन प्रोफेसर गोरख नाथ ने किया तथा आभार ज्ञापन प्रोफेसर सुधीर राय ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर रमेशधर द्विवेदी, प्रोफेसर सुधीर कुमार शाही, प्रोफेसर मधु सिंह, प्रोफेसर नीलिमा सिंह, प्रोफेसर शशिकांत द्विवेदी, प्रोफेसर मीरा सिंह, प्रोफेसर प्रज्ञा पारमिता, प्रोफेसर मनोज प्रकाश त्रिपाठी, प्रोफेसर अलका रानी गुप्ता, प्रोफेसर पंकज कुमार सिंह, प्रोफेसर अनिता सिंह, प्रोफेसर रेनू सिंह, प्रोफेसर रश्मि सिंह, प्रोफेसर मनीष गुप्ता, डॉ. मयंक सिंह, डॉ. रंजना श्रीवास्तव, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. आनंद राघव चौबे, डॉ. सपना सिंह, डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, डॉ. बृजेश कुमार सिन्हा, डॉ. सुप्रिया सिंह, डॉ. अनुराग उपाध्याय, डॉ. लालेन्द्र कुमार सिंह, डॉ. विपिन कुमार सिंह, डॉ. श्वेता सोनकर सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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