गदर पार्ट 1 को जब अधिकतर तथाकथित फ़िल्मी विद्वान समीक्षकों ने गटर बताया था, तब भी दर्शकों ने इस फ़िल्म को हिंदी सिनेमा के कालजयी फिल्मों के क्लब में शामिल कराकर उनका मुँह ऐसा बंद किया कि बेचारे वो करें तो करें क्या और बोलें तो बोलें क्या? खैर, पहली बात तो दोनों फिल्मों का कलेवर बिल्कुल अलग है। इसलिए दोनों फिल्मों की तुलना करना मेरे विचार से बिल्कुल ही गलत है। कारण दूसरे को नीचा दिखाकर खुद को अच्छा साबित करना अच्छी बात नहीं होती। दर्शकों के पास अब बहुत से ऑप्शन और संसाधन हैं, जिसके जरिये उन्हें पता है क्या करना है। कौन सी फ़िल्म देखनी है और कौन सी नहीं। दूसरी बात बॉलीवुड हमेशा से हीं अपने ज्ञान की सारी गंगा एक धर्म विशेष को हीं टारगेट करके बहाने क्यों निकलती है। अरे भाई सैक्स एडुकेशन देना हीं है तो आप अन्य दूसरे तरीके या दूसरे धर्म विशेष को भी तो लेकर दे सकते हैं। लेकिन बॉलीवुड अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने पर तुला हुआ है। एक बात और अगर OMG 2 फ़िल्म चल रही है तो 90% इसका पूरा श्रेय केवल और केवल पंकज त्रिपाठी हैं। बाकी तो केवल सैक्स जैसे विषय को भुनाने और सेंसरबोर्ड के कट से मिलने वाली पब्लिसिटी है।
रही बात गदर पार्ट 2 की तो ये तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ कह जाती है। ये सन्नी पाजी के ढाई किलो के हाथ के अलावा किसी और के बस की बात भी नहीं। उनकी इस पहचान को धूमिल मत कीजिये। जो तथाकथित विद्वान कहते हैं कि ये फिल्म लाउड है, इसमें बेवजह का शोर है तो वे शांति की अपील कर सकते हैं। मगर दर्शक सुनने का नाम हीं नहीं ले रहे हैं। जिन्हें श्रेया घोषाल पसंद हैं इससे उन्हें कोई ऐतराज नहीं लेकिन सुनिधि चौहान जिनकी पसंद हैं उन्हें कम से कम गाली तो मत दीजिये। कुल मिलाकर बात ये है कि गदर फिर से गदर मचाये हुए है और कालीन भैया अपना जलवा बनाये हुए हैं। दोनों फिल्में हिंदी सिनेमा के बॉक्स ऑफिस पर कई दिनों से पड़े अकाल को दूर करने में सफल साबित हों रही हैं। ये हिंदी सिनेमा के लिए शुभ संकेत है।
सिने प्रेमी के दिल से…