बिहार बोर्ड दसवीं (मैट्रिक) का परीक्षा परिणाम आया है आज । एक लंबे इंतज़ार के बाद । हमारे समाज के लिए आज का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है । जो बच्चे प्रचंड अंक धारण किए हैं, ख़ूब चहक रहे हैं । गर्दन फूलाकर घूम रहे हैं । अंक में नशा तो होता है साहब…! तभी तो अभिभावक और रिस्तेदारों की आँखों के समक्ष लालबत्ती और लाखों का पैकेज अभी से ही चमकने लगता है । आँखों में बड़ा-बड़ा ख़्वाब दमकने लगता है । और ये सही भी है । मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है । मुझे तो आपत्ति है, उस सामाजिक सोच से जो प्रचंड अंक का प्रमाण पत्र देखकर ही ऊँचा सपना देखने की आज़ादी देती है । मुझे आपत्ति उस सोच से है, जो औसत या औसत से कम अंकधारियों की आँखों को प्रतिबंध का अनुभव कराती है ।
आज कई बच्चों के हाथ निराशा लगी है, वो चूक गये हैं और निस्संदेह इस समाज ने उनके ऊपर दबाव का जाल फेंक दिया है । मासूम दबाव महसूस कर रहे हैं । कई सूरत की मायूसी को मैंने आज निहारा है । काॅल, मैसेज के माध्यम से कइयों की उदासी और आँसू को पाया है ।
समाज फर्स्ट डिवीजन माँगता था, लेकिन आप सेकेंड, थर्ड या फेल लेकर प्रकट हुए, तो ऐसा नहीं है कि आप ख़ास नहीं हैं । आप अपने आप में ख़ास हैं । दरअसल हर विद्यार्थी विशेष होता है । इसलिए आप आज की चिंता को हवा में उड़ा दीजिए, आगे के विषय में सोचिये । ये ज़्यादा ज़रूरी है । जो हुआ वो आपका कल था । दोस्त ! आप आज की चौखट पर खड़े हैं और भविष्य आपको अपार संभावनाओं के मंच पर बड़े फ़क्र और एतराम के साथ निमंत्रित कर रहा है ।
मेहनत और आत्मविश्वास ऐसे हथियार हैं,  जिनके बल पर आप जब चाहें, जहाँ चाहें बाजी पलट सकते हैं । अब देर किस बात कि उठिए ! स्वयं में विश्वास रखिए और लगातार मेहनत करते रहिए । हार की छाती पर चढ़ के तांडव करने से आपको कोई नहीं रोक सकेगा । यक़ीनन आप तमाम चुनौतियों को पटकेंगे । आप फोड़ेंगे ।
विद्यार्थियों के कई सवाल मेरे समक्ष कूद चुके हैं अभी तक ।
बोर्ड परीक्षा के बाद विद्यार्थीं  उलझन में रहते हैं, सबके मन में बस एक ही सवाल रहता है कि अब आगे क्या ?
अक्सर ये सवाल पूछा जाता है कि किस फिल्ड का कितना स्कोप है? दरअसल स्कोप फिल्ड का नहीं, स्टूडेंट का होता है,आप जिस फिल्ड में जाए, कुछ बड़ा करना है तो आपको उस फिल्ड का सिकंदर बनना पड़ेगा । कैरियर चुनने के सवाल पर मैं सामान्य तौर पर थ्री इडियट वाले रैंचो के ही बातों का समर्थन करूँगा कि “अपने पैशन को फाॅलो करो।” किन्तु यह थ्योरी हर जगह लागू नहीं होती है । सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाला बच्चा जिसने अपने बाप को खेत जोतते देखा है, वह स्टडी सिलेबस जोत के अपनी किस्मत बदलना चाहता है क्योंकि यही एकमात्र विकल्प होता है उसके पास। जो बेटा अपने बाप की सामान्य आर्थिक स्थिति को देखा है । अपने बाप को फल, सब्जी बेचकर गुजारा करते देखा है, वो अपनी नींद, चैन बेचकर ही ऊँचा ख़्वाब खरीदना चाहता है ।
इसलिए पैशन वाली बात एकांगी नहीं है । वर्तमान भारत के लिए तो बिलकुल नहीं । आजकल कोचिंग संस्थानों ने 10वीं के बाद 11 वीं और 12वीं के पढ़ाई के साथ-साथ आईआईटी और मेडिकल में प्रवेश दिलाने का सपना दिखाया है, जिन बच्चों के 10 वीं में अच्छे अंक होते है वो ठेकुआ, खजूर, अपने माता-पिता का आशीर्वाद और तीन पीढ़ी को तारने की जिम्मेदारी लेके पटना, कोटा और हैदराबाद जैसे शहरों में निकल पड़ते हैं और किसी कोचिंग में एडमिशन लेते हैं, आपको भी जाना चाहिए, लेकिन इससे पहले इस रूप से आश्वस्त हो लेना चाहिए कि उक्त परीक्षाओं के विषयों में आपकी रूची कैसी है? आपकी काबिलियत के बारे में आपसे अच्छा कोई और नहीं जान सकता, इसलिए आपको ठहर के थोड़ा सोचना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं कि हमेशा चलते रहो, रूको नहीं लेकिन मेरा मानना है कि चलते रहना जरूरी है मगर किसी चौराहे पर रूक कर सोचना सबसे ज्यादा ज़रूरी है, नहीं तो आप चलेंगे ज़रूर मगर गलत दिशा में । आजकल बहुत सारे विकल्प हैं, आपको अपने अनुसार सोच समझकर,थोड़ा कठोर होकर किसी एक को चुनना चाहिए । अंत में बस यहीं कहूँगा कि आप अपने अनुभव के दम पर ही कमाल के इंसान बनते हैं । हमेशा खुश रहिए, आनंदित रहिए, अपने रिश्तों और समाज को समझिए ।
एक बात और…
इस समाज ने अपनी महात्वाकांक्षा को गगनचुम्बी ऊँचाई देकर अंक कम-बेसी वाले मामले को इतना गरम बनाया है । इसलिए ज़्यादा चिंता मत कीजिए।  दुनिया को रत्तीभर मैंने भी जाना है । एक समय के बाद सब कुछ ठीक हो जाता है । कम अंक पर रोने वाली बचकानी हरकत पर हँसी आती है ।
बोर्ड परीक्षा में भाग लिये सभी प्रतिभागियों को बधाई । चमकदार भविष्य के लिए शुभकामनाएँ… …

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