सुबह से अविनाश कश्यप के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा करता पस्त हो गया। दोपहर हो चला पर कोई निर्णय लेने में असफल रहा। अंत में सिर पर हाथ रख कर बैठ जाता है। चित्रगुप्त को परेशान में देखकर यमराज कहता है,… Read More
कहानी : मैं भी इंसान हूँ
पति-पत्नी भोर चार बजे खाट छोड़ अपने-अपने कामों में लग जाते हैं। घासीराम खेत चला जाता है। पुष्पा घर-आँगन को झाड़ू-पोंछा करके खाना बनाती है। सात बजे तक घासीराम हाथ-मुँह धोकर घर लौट आता है। खाना खाकर साढ़े सात बजे… Read More
कहानी : मंगरू की दादी
मंगरू की दादी आँगन में खाट पर पड़ी रहती है। किसी का हृदय पसीजा तो खाना खाने के वास्ते बुलाते हैं। वरना, दादी खुद खाना खाने के वक्त थाली लेकर चली जाती है। वह भी एक बार सुबह और रात… Read More
कहानी : निगाहें आसमान की ओर
राँची शहर खुश-मिज़ाज मौसम के लिए जाना जाता है। जेठ मास की अंतिम सप्ताह तक बारिश न होने के कारण आधे से अधिक बोरिंग सूख गया। सोसाइटी वाले बोरिंग तत्काल खोदवा लेते हैं। बोरिंग गाड़ी रात-दिन बोरिंग खोदता रहा। पर… Read More
कहानी : रिक्शावाला
शहर के चौक-चौराहे पर इक्के-दुक्के ही रिक्शावाले नजर आते हैं। शायद आज कल आदमी रिक्शा की सवारी करना नहीं चाहते हैं या ई-रिक्शा के कारण। आखिर वजह जो भी हो। रिक्शावाला पूस के ढलते सूरज को देख चिंतित मुद्रा में… Read More
कहानी : पबजी
गौतम इस वर्ष मैट्रिक की इम्तिहान देने वाला है। इनके मित्रों के पास फोरजी मोबाइल है। वे सभी रात को पढ़ाई के नाम पर पबजी गेम खेलते हैं। गौतम भी बाबा से फोरजी मोबाइल खरीद देने की जिद करता है।… Read More
कहानी : सौगंध
गाँव में मजदूरों को बारह महीने प्रतिदिन काम नहीं मिलता है। गर्मी के दिनों में कुआँ का पानी सूख जाने के बाद किसान नरेगा में मजदूरी करने जाते हैं। अधिकांश मजदूर गर्मी के दिनों में काम नहीं मिलने पर चैक… Read More