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गौतम इस वर्ष मैट्रिक की इम्तिहान देने वाला है। इनके मित्रों के पास फोरजी मोबाइल है। वे सभी रात को पढ़ाई के नाम पर पबजी गेम खेलते हैं। गौतम भी बाबा से फोरजी मोबाइल खरीद देने की जिद करता है। बाबा के इंकार करने पर रात को खाना खाये बिना ही सो जाता है। बाबा सुबह समझाता है, ‘‘देखो बेटा, तुम मोबाइल लेने की जिद करता है। ठीक है, मैं खरीद दूँगा। लेकिन एक शर्त पर।’’
‘‘क्या बाबा?’’
‘‘यही कि तुम पबजी गेम नहीं खेलेगा तब।’’
‘‘बाबा, मैं गेम खेलने के लिए मोबाइल खरीदने नहीं बोल रहा हूँ। मेरी ऑनलाइन क्लास होती है।’’
‘‘ठीक है, मैं खरीद दूँगा। लेकिन मेरी एक बात ध्यान से सुनो।’’
‘‘हाँ बाबा।’’ कहता गौतम बाबा के सामने बैठ जाता है।
‘‘मैं कुछ दिन पहले अखबार में एक खबर पढ़ी थी। जिसमें लिखा था। सोलह वर्ष का चिंटू अपने बाबा से फोरजी मोबाइल खरीदाने की जिद की। बाबा ने मोबाइल नहीं खरीद दिया। वह काॅलेज जाना बंद कर दिया। पुत्र का भविष्य बर्बाद ना हो। यह सोचकर बाबा ने धान बेचकर मोबाइल खरीद दिया। मोबाइल हाथ में आने के बाद दो-चार दिन खूब पढ़ा-लिखा। फिर धीरे-धीरे पबजी गेम खेलने लगा। जब माँ-बाबा घर में रहते, तब किताब लेकर बैठ जाता। उनके खेत जाने के बाद मोबाइल में गेम खेलने लगा। कुछ ही दिनों में पबजी गेम का भूत इस कदर सवार हो गया कि दतुन करते, खाना खाते या कहीं जाते वक्त हाथ में मोबाइल। हमेशा पबजी गेम खेलता रहता। एक दिन कुआँ स्नान करने जा रहा था। गेम खेलने में इतना मगन था कि कब कुआँ पहुँच गया। यह ध्यान ही नहीं रहा। कुआँ में जब गिर गया। तब बचाव, बचाव……करके चिल्लाने लगा। आसपास कोई आदमी नहीं होने के कारण युवक की मौत हो गयी। बेटा, तुम भी पढ़ाई के नाम पर पबजी गेम खेलने के लिए जिद तो नहीं कर रहा है न!’’
‘‘नहीं बाबा, मैं केवल मोबाइल से पढ़ाई ही करूँगा।’’
बाबा गौतम को नया मोबाइल खरीदकर ला दिया। गौतम रात-दिन मोबाइल को हाथ में पकड़कर रहने लगा। एक सप्ताह के बाद बाबा कहता है, ‘‘बेटा! तुम भी पबजी गेम खेलने लगा क्या? अब सुबह-शाम कभी भी मैदान नहीं जाता है।’’
‘‘सामने एग्जाम है, इसलिए मैदान जाना छोड़ दिया हूँ बाबा।’’
‘‘बेटा, हमेशा पढ़ाई ही नहीं करना चाहिए। सुबह या शाम एक-आध घंटे जरूर मैदान जाना चाहिए।’’
‘‘बाबा! आजकल शहर में खाली मैदान ही कहाँ है? मैदान में गाड़ी भरा रहता है। ऊपर से काँच के टुकड़े। कहाँ दौड़े या कुुछ खेले ही?’’
‘‘बेटा! तुम पढ़ाई पर ध्यान दो, बाबा की बात मत सुनो। तुमको स्टेट टाॅपर होना है। मेरा लाल।’’ माँ
‘‘मैं भी यही चाहता हूँ। मेरा बेटा, मेरा नाम रोशन करे।’’ बाबा
‘‘बाबा, आपको पता नहीं है। मोबाइल में सर पिछले वर्ष का प्रश्न-पत्र डाल देते हैं। हम उत्तर लिखकर सर को भेजते हैं। पढ़ाई संबंधित बहुत मेटर है।’’ गौतम
गौतम पढ़ाई के नाम पर बारह बजे तक पबजी खेलता है। आँखें लाल-लाल दिखने लगा। माँ कहती है, ‘‘बेटा, तेरी आँखें लाल हो गयी है। देर रात तक पढ़ाई मत करना।’’
‘‘मैं आज कल बारह-एक बजे तक पढ़ाई करता हूँ। इसीलिए आँखें लाल हो गयी है। आपका और बाबा का जो सपना पूरा करना है।’’ गौतम
गौतम की जुनून को देखकर माँ प्रतिदिन समय पर नास्ता, खाना और पानी परोस देती है। बाबा बाजार से फल, काजू और खजूर आदि खरीद कर ला देता है। जब मैट्रिक का परिणाम आया। तब माँ-बाबा से कहा, ‘‘मैं फर्स्ट क्लास के साथ स्टेट टाॅपर बन गया हूँ।’’
माँ-बाबा खुशी से मिठाई बाँटने लगे। तभी उनका मित्र कहता है, ‘‘आप किस खुशी में मिठाई बाँट रहे हैं। हम दोनों तो फेल हुए हैं।’’
‘‘क्या? क्या?…….?’’ बाबा कहता है।
‘‘हाँ, यही सच है।’’ मित्र
माँ के हाथ से मिठाई का डब्बा जमीन में गिर गया। बाबा क्रोध में आकर कहता है, ‘‘मेरा संदेह ठीक था। तुम देर रात तक पढ़ाई नहीं। बल्कि पबजी गेम खेलता था।’’
‘‘हाँ बाबा, मुझे माफ कर देना। मैंने आप दोनों से झूठ कहा।’’ गौतम रोने लगा।
‘‘शांत हो जाइए गौतम के बाबा। हमारा एक ही बेटा है। ज्यादा डांट-डपट दीजियेगा। और कुछ अनहनी कर लिया तो उम्र भर पश्चाताप की अग्नि में जलते रहेंगे।’’ गौतम की माँ समझाती है।
‘‘उं’’ बोलकर गौतम के बाबा बेडरूम चला जाता है। रात को एक छोटा-सा सांप घर के अंदर रेंग रहा है। गौतम सामने ही बैठा हुआ है। लेकिन कुछ नहीं बोल रहा है। माँ किचन से सांप को देखकर चिल्लाई। गौतम कहाँ? कहाँ? कहता सांप की ओर ही जाता है। माँ गौतम को पकड़कर अपनी ओर खींच लेती है। तब तक बाबा आकर सांप को मार देता है। तब गौतम कहता है, ‘‘बाबा, आप किस को मार रहे हैं। सांप तो है ही नहीं। डंडा से पीट-पीटकर टाइल को क्यों खराब कर रहे हैं।’’
माँ को पुत्र पर संदेह हुआ। बीस का सिक्का लाकर बोली, ‘‘ये कितने का सिक्का है बेटा।’’
‘‘क्यों माँ? तुम पहचान नहीं पा रही हो। ला मैं बता देता हूँ।’’ कहता गौतम माँ के हाथ से सिक्का ले लेता है। फिर बोला, ‘‘ये तो दस का सिक्का है।’’
‘‘ठीक से देखकर बोलो।’’ माँ
‘‘हाँ माँ। दस का सिक्का है।’’
निःशब्द माँ-बाबा रोने लगे। सुबह दस बजे नेत्र विशेषज्ञ डाॅक्टर के पास लेकर चले गए। डाॅक्टर चेकअप करने के बाद कहा, ‘‘क्या गौतम के पास मोबाइल है?’’
‘‘हाँ सर’’ बाबा
‘‘ये मोबाइल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया है। जिसके कारण आँख के रेटिना पर प्रभाव पड़ा है। इसलिए इनकी आँखें लाल हो गयी है। कुछ दिन और देर कर देते तो शायद ही रोशनी वापस आ सकती थी।’’ डाॅक्टर
‘‘सर अभी’’ माँ
‘‘मैं कुछ दवा लिख देता हूँ। चश्मा ज्यादा से ज्यादा पहने और मोबाइल से बिल्कुल दूर रहे तो शायद सेवेंटी पर्सेंट वापस आ सकता है।’’
दवा और चश्मा के इस्तेमाल से सेवेंटी पर्सेंट वापस तो नहीं आया। किंतु मोबाइल से दूरी बनाने के बाद कुछ हद तक ठीक हुआ।

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