कविता : तेरे संग जीना मरना

जीना मरना तेरे संग है। तो क्यो और के बारे में सोचना। मिला है तुम से इतना प्यार, तो क्यो गम को गले लगाना। और हंसती खिल खिलाती, जिंदगी को क्यो रुलाना। अरे बहुत मिले होंगे तुम्हे प्यार करने वाले।… Read More

कविता : कल को आज में जीओ

जो लोग कल में, आज को ढूंढते है। और खुद कल में जीते है, वो बड़े बदनसीब होते है। क्योंकि कल जिंदगी में, कभी आता ही नही। इसलिए में कहता हूं, की आज में जीकर देखो। जिंदगी होती है क्या,… Read More

कविता : लुटा तो मैं हूँ

कभी अपनो ने लूटा  कभी गैरो ने लूटा। पर में लुटता ही रहा। इस सभ्य समाज में।। किससे लगाएँ हम गुहार, जो मेरा दर्द समझ सके। मेरे ज़ख़्मों पर, मलहम लगा सके। और अपनी इंसानियत, को दिखा सके। और मुझे… Read More