developed India 2024

कविता : करते नहीं देश की चिंता

मिली मुश्किलों से आज़ादी, मगर न इस की कद्र हमें। पड़ आदत आराम की गई, नहीं देश की फिक्र हमें॥ देश की चिंता न हम करते, हम भूलें ज़िम्मेदारी। भोर करेगा कौन यहाँ अब, निंद्रा सबको है प्यारी॥ मरने मिटने… Read More

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कविता : 26 जनवरी अमर रहे

मैं आज़ाद भारत हूँ, अमन पैगाम है मेरा इतिहास देख ले तू दया धर्म नाम है मेरा मेरी सरलता को तू कमज़ोरी न समझना रावण! याद रख बच्चा-बच्चा राम है मेरा। मेरे गुरुर से ही ज़िंदा है तेरा गुरूर ईमान… Read More

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कविता : भारत भूमि

सैनिक जोशीले साहसी शूर रिपु मद करे चूर, देश पे कुर्बान योद्धा करते जवानी है। अपना लुटाएं सब देश को बताएं रब, भारत में जन्में ऐसे वीर स्वाभिमानी है। देश से मोहब्बत ये मरके निभाते हैं, बाँकुरो का देश प्रेम… Read More

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

कविता : गणतंत्र दिवस की जय हो

हम एक हैं ये आईये दुनिया को दिखाइये घर-घर में ग़ुरूरो-शान से तिरंगा फहराइये। पुरज़ोर आवाज़ में अदब से राष्ट्रगान गाईये जय हो भारत माता की जयकारा लगाइये। अमृतोत्सव आज़ादी का है मन से मनाईये वीरों की वीरगाथाएँ ज़रा भईया… Read More

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कविता : राम का नाम बड़ा है

राम का नाम बड़ा है राम का नाम बड़ा है कण-कण में बसे सीता राम। राम का जाप हो सुबह शाम।। राम का नाम बड़ा है मात पिता के वचन निभाए। राज महल पद सब ठुकराए।। न तोड़ा रिश्तों का… Read More

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कविता : प्यार है या कुछ और

देखा है जब से तुम्हें दिल में हलचल होने लगी। दिल की बैचेनी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है। आँखो में आँसू और दिल में प्यार दिखने लगा। शायद दिल में मोहब्बत का अब दीप जल उठा।। देखते ही देखते प्यार… Read More

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कविता : ना जाने क्यों

ना जाने क्यों तेरी आवाज़ सुकुन देती है बहुत ना जाने क्यूँ तेरे ख्याल से दिल हो शादाब जाता है जब भी सोचता हूँ तन्हाई में जिंदगी की बाबत मुस्कुराता तेरा चेहरा नज़र के सामने आता है । मुझे मालूम… Read More

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108 दोहों में श्रीराम

दिनांक 22 जनवरी को वह शुभ तिथि है, जब अयोध्या धाम में श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है। श्रीराम लोक आस्था व जन-मन के महानायक हैं, इसी प्रगाढ़ श्रद्धा व विश्वास की आँखों से 108 दोहों में श्रीराम… Read More

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देशभक्ति दोहे : मातृभूमि से प्यार

देश प्रेम की भावना, मन में हो भरपूर । लाल, भगत, आज़ाद से , हों हम भी मशहूर ॥ डोर देश की सौंप दी, क्यों नेता के हाथ । चाहे माटी देश की, जनमानस का साथ ॥ वृद्ध जवां बच्चे… Read More

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कविता: पुराने खत

वर्षों पहले पत्र लिखे थे, लगता जैसे ही कल है । प्यार छिपा था उनमें पावन, जैसे गंगा का जल है ।। शब्द-शब्द में सूरत तेरी, भाव सुवासित अनुपम है । जिसकी उपमा करेगा कैसे, पारिजात भी गुमसुम है ।।… Read More