तवे की तेज आँच में जलती हुई रोटी, और हाथ की गदोरिया दोनों माँ की हैं। चौके और बेलन के बीच लिपटे हुए आंटे की तरह आज भी कुछ सवाल घूम रहे हैं एक परिधि में रोटी की तरह एक… Read More
कविता : रामलला घर आयेंगे एक दिन
रामलला घर आयेंगे एक दिन, आस लगाये पंथ निहारे तकते व्याकुल राहें राम की, नैना बिछाए देहरी बुहारे निकट आ गई घड़ी सखी री, रामलला फिर घर आयेंगे हर घर सजे अयोध्या जैसा, राम अयोध्या धाम आयेंगे। स्वागत की ऐसी… Read More
रामलला प्राण प्रतिष्ठा दिवस विशेष : रामलला अभिराम
सौभाग्य मना रहे हैं जन-जन, करके राम का गान। पूरी करके प्रतिज्ञा, समारोह प्रतिष्ठा प्राण। जन का मन प्रफुल्लित हुआ, अवध नजारा देख। भव्य बालरूप राम का, ‘अजस्र’ करें प्रणाम। राम दरबार सज गया, शोभा अति अभिराम। महापर्व श्री राम… Read More
कविता : बीत गईं कई सदियाँ देखो
बीत गईं कई सदियाँ देखो, कितने पुरखे स्वर्ग सिधारे कब आयेंगे राम अयोध्या, कैसन जागें भाग्य हमारे सदियों से तरसी सरयू में, राम नीर बहने वाला है रामलला आ रहे अयोध्या, अँधियारा ढ़लने वाला है। करी तपस्या,दीं है आहुति, प्राण… Read More
कविता : प्यारी दुनिया
आँखो के मिलने से ही आँखो से प्यार हो गया। अब चाहत को पाने की मुझे कोशिश करना है। और दिल को दिलसे मिलना हमको जो है। तभी तो प्यार का सागर बनाया पायेंगे हम दोनों।। बसा अब ली है… Read More
कविता : क्या है ये…
कहाँ तुम जा रहे हो मुझे दिवाना बनाकर। हरा क्यों दर्द तुम ने अपनी हंसी को दिखाकर। अब क्यों फिर से दर्द तुम दिये जा रहे हो। और मोहब्बत का दीप क्यों बुझाये जा रहे हो।। जब जाना ही था… Read More
कहानी : पंचायत
श्यामू पंडितजी का शूरपुरा गॉंव में सिक्का चलता है। गांव में ही नहीं; पूरे मौजे में कथा वाचते हैं, विवाह पढ़ते हैं और सारे पंडिताई के काम – काज करने के साथ – साथ खेती भी करते हैं। पंडित जी… Read More
कविता : सर्दी रानी
सर्दी रानी ने जैसे ही, अपने दरवाज़े खोले। बिन बुलाए निंदिया आए, सुस्ती की तूती बोले॥ पलक झुका दुल्हन के जैसे, धूप खड़ी है आंगन में । घर के सारे लोग आ गए , धूप वधू के स्वागत में ॥… Read More
कविता : आज फिर नेह से हाथ सिर पर फेर माँ
हूँ बहुत टूटा हुआ, बिखरा हुआ घायल निराश मरु में एक भटके पथिक-सा, दिग्भ्रमित- सा हताश प्रेम को प्यासा ह्रदय, व्याकुल स्वभाव ठिठोल को अपनत्व को आकुल है मन, जीवन दो मृदुबोल को बोल जिनको सुनकर मेरा, नयन नीर भी… Read More
चौपाई छन्द : खुशी भरा इतवार
हर दिन होता रोता धोता । सुनो अगर इतवार न होता॥ जीवन इक ढर्रे पर चलता। फुर्सत वाला समय न मिलता॥ देती नींद हमें उलाहने। ताने देते हमको सपने॥ बैड टी अख़बार का नाता। कभी नहीं पुख़्ता हो पाता॥ अनमने… Read More