aatmhatya

संघर्षों से घबरा कर यदि,
सब मृत्यु गले लगाते।
डर के आगे जीत लिखे जो,
न विजेता वो मिल पाते॥

मरना सबको इक दिन लेकिन,
न मौत से पहले मरना॥
गिर गिर कर फिर उठ उठ कर ही,
जीवन पथ पर तुम चलना॥

आत्महत्या सगी लगी तुम्हें,
अपनो को किया पराया।
रोते बिलखते माँ पिता पर,
क्यों तरस न तुमको आया॥

आत्महत्या से न कुछ सुलझे,
परिवार उजड़ जाएगा।
तुम्हारी कमी की भला कौन,
भरपाई कर पाएगा॥

आत्महत्या ख़्याल जो आए,
उस पल को तुम बस टालो।
सबसे ज़्यादा प्यार है जिससे,
हालेदिल उसे सुना लो॥

माना लक्ष्य कठिन लगा तुम्हें,
न मौत का दामन पकड़ों।
जिसमें तुम्हे महारथ हासिल,
ऐसे काम हैं सैकड़ों॥

माँ पापा मत निष्ठुर समझो,
दुविधा उनको बतलाओ।
आत्महत्या अधर्म कर्म है,
इसको मत गले लगाओ॥

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