ये लड़ाई इतनी आसान नहीं, बहुत ही कठिन है। है जितनी मुश्किल ये राहें, मंजिल पाना उतना ही जटिल है। मद्धिम-मद्धिम क्षीण हो रही मेरे भीतर की प्रबल इच्छा-शक्ति, हे! नाथ! मेरे भीतर की आत्मशक्ति जगाओ। जो है मुझमें पाने… Read More

ये लड़ाई इतनी आसान नहीं, बहुत ही कठिन है। है जितनी मुश्किल ये राहें, मंजिल पाना उतना ही जटिल है। मद्धिम-मद्धिम क्षीण हो रही मेरे भीतर की प्रबल इच्छा-शक्ति, हे! नाथ! मेरे भीतर की आत्मशक्ति जगाओ। जो है मुझमें पाने… Read More
नहीं मनती दिवाली अब घर पर कहाँ से शुरू करें बल्बों की झालर लेकर घर की छत के कोने-कोने में अब कोई नहीं घूमता… … पेचकस, टेस्टर, सेलो टेप लेकर दो तीन बिजली के झटके खाकर अब इलेक्ट्रिशियन कोई नहीं… Read More
दीपों की जगमग आज हुई रोशन, चहुँओर लगे देखो खुशहाली। मांवस रात लगे पूनम सी, काली है पर भरपूर उजियाली। पर जिससे हर घर में है रौनक, उसका घर आज लगता है खाली। सीमा पे बैठ वो लिए बन्दूक, भारत… Read More
इंद्रधनुषी रात थकने सी लगी है। भोर में कोयल कुहकने सी लगी है।। गीत मंगल के सजे तोरण कलश पर तलहथी की छाप उगने सी लगी है।। गंध-मेंहदी ने किया तन-मन सुवासित बाग में बेला चमकने सी लगी है।। छंद… Read More
कुछ पल के लिये कपड़ों को महका देती है इत्र पर जीवन ही पूरा महक जाय जब साथ हो सच्चा मित्र बसा हो कैसा मन में हमारे गलत भाव या दोष भले कभी भी दिखा दे हम उस पर अपना… Read More
उपकार करो निश्छल हो जग में फिर भी डरना पड़ता है इंसानी बस्ती में इंसानों को,इंसानों से डरना पड़ता है दूध पिलाओ,चमर हिलाओ, सर्वस्व थमा दो तुम उसको फिर भी गर काटे दौड़े तो, फन एड़ी से रगड़ना पड़ता है… Read More
(मित्रों, मैंने यह रचना डॉ. कलाम के प्रमुख सिद्धांतों से प्रभावित होकर लिखी है इसलिए इसमें बहुत सी ऐसी बातें हैं जो सामान्य होते हुए भी सामान्य नहीं है। जिसे मैंने कुछ बिन्दुओं को निर्धारित करते हुए आप सब तक… Read More
देखो उस मेट्रो को… कैसे खिलखिला के हँस रही है… सुना है, इसने कई पेड़ों का क़त्ल कर दिया कल रात… कल रात जब हम गहरी नींद में थे कुछ पेड़ सुबक रहे थे अंधेरे में… कइयों ने आवाज़ लगाई… Read More
बंदूकें तुम्हें भले ही भाती हो अपने खेतों में खड़ी बंदूकों की फसल लेकिन- मुझे आनन्दित करती है पीली-पीली सरसों और/दूर तक लहलहाती गेहूं की बालियों से उपजता संगीत। तुम्हारे बच्चों को शायद लोरियों सा सुख भी देती होगी गोलियों… Read More
स्त्री फँसायेगी तुम्हें जाल में फंसना मत यही सिखाया गया है नरक का द्वार जो है मेनका का काम ही है आप जैसे तपस्वियों का तप भंग करना आप बहक गये तो क्या इंसान ही तो हैं आखिरभोले भाले लोग….… Read More