तू चल अब तू आज़ाद है तेरे लिए ये दुनिया एक खुला आसमान है… रूकावटें आएँगी अभी रास्तो में कई उनसे घबराकर तू रुक ना जाना कहीं… वादों के रास्तों पे चलके तू कुछ दूर तक ही जाएगा लेकिन मेहनत… Read More
कविता : आज तीज है
आज तीज है …माँ का बिछुआ बदलना बहन का मेंहदी रचाना भाभी का चमकता शृंगारआज तीज है…बाबूजी का नयी साड़ी सिरहाने छिपानाजीजा का वो रसगुल्ले पहले से लेकर आनाभाई का पैकेट बंद उपहार दिखा ललचाना आज तीज है…नयी चूड़ियों में चमकती कलाई ऐड़ियों का… Read More
कविता : अमृता प्रीतम
मेरी प्रिय अमृता आप जहाँ कहीं भी हैं , ये आपके लिये … वो जो ऐश ट्रे में बुझी हुई सिगरेट के साथ रह गयी थी ललछौंह सी नन्ही सी चिंगारी रंग -बिरंगे रंगों से रंगी कूँची में ,छूटगया था जो धोने के… Read More
कविता : मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ और मैं शापित हूँ नरों की कुंठा झेलने के लिए और इस बेढंगे समाज में रोज़ नई प्रताड़नाओं से मिलने के लिए मैं कैसे तोड़ पाऊँगी इन सभी वर्जनाओं को जो इतिहास ने खड़े कर रखे हैं मेरे… Read More
कविता : भारत माता
भारत माता तेरा स्वर्णिम इतिहास देता हमें गौरवानुभव का अहसास तेरी गोद से अनेक वीरों ने जन्म है लिया प्राणों का दे बलिदान नाम ऊँचा तेरा किया विद्वानों की तू पृष्ठभूमि कृषि से होता तेरा श्रृंगार जाती… Read More
कविता : कोई औरत जब…
कोई औरत जब किसी मर्द को सौंपती है अपना शरीर, वो सिर्फ शरीर नहीं होता, वो उसकी वासना भी नहीं होती, वो प्रकृति की आदिम भूख नहीं होती वो औरत बाजारु हो जरुरी भी नहीं औरत तलाशती है संरक्षण,… Read More
कविता: लिहाफ़
रात बहुत सर्द थी सोचा लिहाफ़ लेलूं लेकिन, उस लिहाफ़ में बेख़बर वो भी लिपटी थी ऐसे में ख़्याल आया कहीं… कहीं उसकी नींद में खलल न हो जाए इसी ख़्याल से ठिठुरता रहा रात भर लेकिन एक सुकूँ था… Read More