स्त्री फँसायेगी तुम्हें जाल में फंसना मत यही सिखाया गया है नरक का द्वार जो है मेनका का काम ही है आप जैसे तपस्वियों का तप भंग करना आप बहक गये तो क्या इंसान ही तो हैं आखिरभोले भाले लोग….… Read More
मेरी बेटी, मेरी जान
मेरी बेटी, मेरी जान ! तुम सर्दी में इतनी सुंदर क्यों हो जाती हो मेरी बेटी गोल-मटोल स्कार्फ बांध कर नन्हीलाल चुन्नी जैसी नटखट क्यों बन जाती हो मेरी बेटी मेरी बेटी, मेरी जान, मेरी भगवान, मेरी परी, मेरी आन,… Read More
कविता : मेरे गाँव की धरती
मेरे गाँव की धरती, रूठी-एकांत सी बैठी है। नित्य होते देख गाँव से शहर को पलायन, कुछ ठगी-ठगी, हैरान-परेशान सी बैठी है। लहलहाती खेतो में, निरस-उदास सी बैठी है। मुस्कुराती खिली कालियो में, बेबस-मुरझाई सी बैठी है। कल-कल नदी की… Read More
‘16 सितम्बर’- अपने जन्मदिवस के अवसर पर, कुछ पुरानी/कुछ नई कविताओं के साथ
(१ ) दीपक की तरह खुद जल गये, धुंआ ही नैनों का श्रृंगार बना। खुद जल रौशन हमें किया, बदले में हमसे कुछ भी न लिया !! दिनांक ज्ञात नहीं कब लिखा था ? (वर्ष -२००२ ) (२) मिल रहे… Read More
चाँद की बाँहों में आ कर उल्लास उमंग में झूम रहे हैं
द्वार पे चाँद के पग धरने को चन्द्रयान से उतरे हम,बाँह पसारे थाम लिया सुन गान चाँद का स्वागत सरगमपाँव धरा पर धरने न दिया हमें बाहुपाश में बाँध लियामिलन यामिनी की बेला में चाँद नयन को चूम रहे हैंचाँद… Read More
कविता : तू चल
तू चल अब तू आज़ाद है तेरे लिए ये दुनिया एक खुला आसमान है… रूकावटें आएँगी अभी रास्तो में कई उनसे घबराकर तू रुक ना जाना कहीं… वादों के रास्तों पे चलके तू कुछ दूर तक ही जाएगा लेकिन मेहनत… Read More
कविता : आज तीज है
आज तीज है …माँ का बिछुआ बदलना बहन का मेंहदी रचाना भाभी का चमकता शृंगारआज तीज है…बाबूजी का नयी साड़ी सिरहाने छिपानाजीजा का वो रसगुल्ले पहले से लेकर आनाभाई का पैकेट बंद उपहार दिखा ललचाना आज तीज है…नयी चूड़ियों में चमकती कलाई ऐड़ियों का… Read More
कविता : अमृता प्रीतम
मेरी प्रिय अमृता आप जहाँ कहीं भी हैं , ये आपके लिये … वो जो ऐश ट्रे में बुझी हुई सिगरेट के साथ रह गयी थी ललछौंह सी नन्ही सी चिंगारी रंग -बिरंगे रंगों से रंगी कूँची में ,छूटगया था जो धोने के… Read More
कविता : मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ और मैं शापित हूँ नरों की कुंठा झेलने के लिए और इस बेढंगे समाज में रोज़ नई प्रताड़नाओं से मिलने के लिए मैं कैसे तोड़ पाऊँगी इन सभी वर्जनाओं को जो इतिहास ने खड़े कर रखे हैं मेरे… Read More
कविता : भारत माता
भारत माता तेरा स्वर्णिम इतिहास देता हमें गौरवानुभव का अहसास तेरी गोद से अनेक वीरों ने जन्म है लिया प्राणों का दे बलिदान नाम ऊँचा तेरा किया विद्वानों की तू पृष्ठभूमि कृषि से होता तेरा श्रृंगार जाती… Read More