आज तीज है …
माँ का बिछुआ बदलना
बहन का मेंहदी रचाना
भाभी का चमकता शृंगार
आज तीज है…
बाबूजी का नयी साड़ी सिरहाने छिपाना
जीजा का वो रसगुल्ले पहले से लेकर आना
भाई का पैकेट बंद उपहार दिखा ललचाना
आज तीज है…
नयी चूड़ियों में चमकती कलाई
ऐड़ियों का अलता, मेंहदी की लाली
माथे की बिंदिया ,माँग का सिंदूर
आज तीज है…
दिन भर भूखे रहने का गर्व
आँचल उठा सात जन्मों की प्रार्थना
आँखों में छलकता प्यार ही प्यार
आज तीज है …
ये वेंटिलेटर नहीं जिसपे चढ़ता कोई रिश्ता
ये प्रेम की धीमी आँच जिसपे पकता रिश्ता
दो तरफा होता ये एक साझा प्रयास
आज तीज है…
सूनी कलाई …सूना है माथा
उदास पैरों ने जबरदस्त ताना है मारा
सबके भाग्य नहीं हर सुख पाना बिट्टो
आज तीज है…
हाथों में सुबह की पहली काँफी
गरम गरम गले के नीचे जो उतारी
कुछ ज्यादा ही कड़वी आज बन आयी
आज तीज है…
(किसी के मन की बात मेरी कलम की नोक पर बैठ …
कागज़ पर फैल गयी …
क्योंकि मैं दुख बहुत अच्छा लिखती हूँ …
उसने कहा था …)
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