कविता : आज तीज है

आज तीज है …माँ का बिछुआ बदलना बहन का मेंहदी रचाना भाभी का चमकता शृंगारआज तीज है…बाबूजी का नयी साड़ी सिरहाने छिपानाजीजा का वो रसगुल्ले पहले से लेकर आनाभाई का पैकेट बंद उपहार दिखा ललचाना आज तीज है…नयी चूड़ियों में चमकती कलाई ऐड़ियों का… Read More

कविता : अमृता प्रीतम

मेरी प्रिय अमृता आप जहाँ कहीं भी हैं , ये आपके लिये … वो जो ऐश ट्रे में बुझी हुई सिगरेट के साथ रह गयी थी ललछौंह सी नन्ही सी चिंगारी रंग -बिरंगे रंगों से रंगी कूँची में ,छूटगया था जो धोने के… Read More

कविता : कोई औरत जब…

कोई औरत जब  किसी मर्द को  सौंपती है अपना शरीर, वो सिर्फ शरीर नहीं होता, वो उसकी वासना भी नहीं होती, वो प्रकृति की आदिम भूख नहीं होती वो औरत बाजारु हो जरुरी भी नहीं           औरत तलाशती है संरक्षण,… Read More