तू  चल अब तू आज़ाद है

तेरे लिए ये दुनिया एक खुला आसमान है…

रूकावटें आएँगी अभी रास्तो में कई

उनसे घबराकर तू रुक ना जाना कहीं…

वादों के रास्तों पे चलके तू कुछ दूर तक ही जाएगा

लेकिन मेहनत के रास्तों पे चलके तू  लम्बा सफर तय कर पाएगा,

तू चल अब तू आज़ाद है

तेरे लिए ये दुनिया एक खुला आसमान है।

पीछे मुड़कर मत देख वहाँ केवल निराशा है

आगे देख सफलता की रोज़ नयी आशा है,

कोशिश कर और आगे बढ़ असफल हुए तो क्या…

अरे असफलता मे भी तो सफलता की परिभाषा है…

तू चल अब तू आज़ाद है

तेरे लिए ये दुनिया एक खुला आसमान है।

तो क्या हुआ जो कोई तेरे साथ नहीं

तो क्या हुआ जो हक में तेरे हालात नहीं,

तू स्वयं को सम्पूर्ण बना

हर क्षेत्र मे खुद को परिपूर्ण बना,

फिर देखना मुश्किल से मुश्किल राहें भी आसान बन जाएँगी

और एक दिन सफलता की कुंजी तेरे हाथ लग ही जाएगी,

तू चल अब तू आज़ाद है

तेरे लिए ये दुनिया एक खुला आसमान है।

अब चाहे सफलता की जितनी भी ऊँचाइयाँ छूले तू

लेकिन हमेशा पैरों को ज़मीन पर टिकाए रखना तू

मुसीबतों में थे साथ जो उनको कभी ना भूलना

पक्षपात के तराज़ू में तू कभी किसी को ना तौलना,

याद रखना तेरा भी जब आखिरी वक्त आएगा

“अपना” कहने वाले कितनो को तू  संग पाएगा,

तू चल अब तू आज़ाद है

तेरे लिए ये दुनिया एक खुला आसमान है…।

About Author

One thought on “कविता : तू चल”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *