द्वार पे चाँद के पग धरने को चन्द्रयान से उतरे हम,
बाँह पसारे थाम लिया सुन गान चाँद का स्वागत सरगम
पाँव धरा पर धरने न दिया हमें बाहुपाश में बाँध लिया
मिलन यामिनी की बेला में चाँद नयन को चूम रहे हैं
चाँद की बाँहों में आ कर उल्लास उमंग में झूम रहे हैं
मातुल के इस लोक में चन्दा मामा हर्षित हृदय हमारे
स्तब्ध अवाक् प्रसन्न भाव एक दूजे को एकटक ही निहारे
दूर का दर्शन निकट दरस से आज हुआ साकार प्रयोजन
उत्सव बेला मँगल अद्भुत चाँद क्षितिज पर घूम रहे हैं
चाँद की बाँहों में आ कर उल्लास उमंग में झूम रहे हैं
धरती लागे चाँद गगन से चन्दा सूरज सा उजियारा
राम भूमि और कृष्ण धरा है दृश्य हिन्द का अनुपम प्यारा
ढेरों सम्मुख विघ्न जो आए हमने माना उसको चुनौती
शान्त चित्त से चन्द्र व्योम पर हृदय हमारे हूम रहे हैं
चाँद की बाँहों में आ कर उल्लास उमंग में झूम रहे हैं
अतिरेक उमंग उत्साह से अपना सूत्र भले जो छूट गया
ओझल हूँ परिदृश्य से किन्तु सम्पर्क दृढ़ अटूट भया
भारत माता का लहराया वैश्विक प्यारा हिन्द तिरंगा
विश्व गुरु ब्रह्माण्ड ब्रह्म बन चाँद पे हम सप्रेम रहे हैं
चाँद की बाँहों में आ कर उल्लास उमंग में झूम रहे हैं…

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