poem-lihaf-by-lokesh

कविता: लिहाफ़

रात बहुत सर्द थी सोचा लिहाफ़ लेलूं लेकिन, उस लिहाफ़ में बेख़बर वो भी लिपटी थी ऐसे में ख़्याल आया कहीं… कहीं उसकी नींद में खलल न हो जाए इसी ख़्याल से ठिठुरता रहा रात भर लेकिन एक सुकूँ था… Read More