हे राम! मुझे हनुमान समझ कर अपना लो
निज सेवक सुत अंजान समझ कर अपना लो
महामूरख ठेठ नादान समझ कर अपना लो
कंकड़ धूलि पाषान समझ कर अपना लो।
नेह इतना बरसाओ कि मन दुःख बिसरा दे
दुःख पीड़ा इस निर्धन की भगवन तिजरा दे
इससे पहले कोई ज़ख्म बड़ा जग गहरा दे
हे राम! मुझे परिधान समझ कर अपना लो।
केवट सा देना वर कि जीवन तर जाये
बल ऐसा कि सुग्रीव भी ये कुछ कर पाये
इससे पहले तन का पँछी फुर्र उड़ जाये
हे राम! मुझे दरबान समझ कर अपना लो।
मारोगे ठोकर फिर भी भाग्य सँवारोगे
भवसागर पार अहिल्या जैसा तारोगे
कभी “दीपक” को भी कहके दास पुकारोगे
हे राम! मुझे संतान समझ कर अपना लो।