श्रेणी

poonam pandey

व्यंग्य : तुमको याद रखेंगे गुरू

“आइए महसूस कीजिये पब्लिसिटी के ताप को, मैं फिल्मवालों की गली में ले चलूंगा आपको” तो ख़्वातीनो हजरात मायानगरी की इस चमक-दमक से भरी दुनिया की सैर में आपका खैर मकदम है। इस रुपहली और मायावी दुनिया का एक बेफिक्र… Read More

लेख : बसंत पंचमी और वैलेंटाइन डे

प्रणय दिवस बसंतोत्सव, मदनोत्सव और वैलेंटाइन डे पर विशेष वैलेंटाइन डे वैसे तो पाश्चात्य परिकल्पना है और विगत दो दशकों में इसका विस्तार हुआ है किन्तु यदि हम ध्यानपूर्वक देखें तो पाएंगे कि यह भारतीय संस्कृति में भी चिरकाल से… Read More

कविता : माँ शारदे

पूजत चरण माँ शारदे पंचम तिथि है बसन्त सर्वज्ञान विस्तारित हो जितना गगन अनन्त। प्रकटोत्सव पर हर्षित सारे देवी देव भगवान नतमस्तक हो स्तुति करें ओढ़ पीत परिधान। ओढ़ पीत परिधान भोग में बेसन का हलवा धन यश विद्या और… Read More

aatmhatya

कविता : आत्महत्या

संघर्षों से घबरा कर यदि, सब मृत्यु गले लगाते। डर के आगे जीत लिखे जो, न विजेता वो मिल पाते॥ मरना सबको इक दिन लेकिन, न मौत से पहले मरना॥ गिर गिर कर फिर उठ उठ कर ही, जीवन पथ… Read More

mohbbat

नज़्म : मोहब्बत

मोहब्बत के सफर पर चलने वाले रही सुनो मोहब्बत तो हमेशा जज्बातों से की जाती है महज़ शादी किसी मोहब्बत का साहिल नहीं मंज़िल तो दूर बहुत इससे भी दूर जाती है। जिन निगाहों में मुकाम-ए-इश्क़ शादी है उन निगाहों… Read More

कविता : मैं

“मैं” से उठकर मैंने जब देखा जो ज़रा ध्यान से आत्मा थी दिग्भ्रमित, मन था भरा अज्ञान से। चक्षुओं की परिधि भी सीमित रही स्वकुटुंब तक संकुचित समस्त भावनाएँ, थी पहुँच प्रतिबिम्ब तक ओज़ वाणी में था इतना, स्वयं सुन… Read More

nirala jayanti

नागरी प्रचारिणी सभा, देवरिया द्वारा निराला की जयंती के उपलक्ष्य में काव्य गोष्ठी का आयोजन

रविवार को नागरी प्रचारिणी सभा, देवरिया के गांधी सभागार में दिनांक 11 फरवरी 2024 को परम्परा और आधुनिकता के सेतु महाकवि महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती के उपलक्ष्य में प्रथम सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन सभाध्यक्ष आचार्य परमेश्वर… Read More

saraswati vandana

गीत : सरस्वती वंदना

माता विमला दो मुझे, बुद्धि विनय बल ज्ञान। अमर कलम मेरी रहे, दो मुझको वरदान।।  सरस्वती माँ से करूँ, इतनी सी फरियाद। मेरे गीतों से करें, लोग मुझे बस याद।। ज्ञानदा माँ दे मेरे, शब्दों में वो धार। सच को… Read More

ग़ज़ल : यहीं छोड़ जाऊंगा

ये जिस्म, ये लिबास, यहीं छोड़ जाऊंगा जो कुछ है मेरे पास, यहीं छोड़ जाऊंगा जब जाऊंगा तो कोई न जायेगा मेरे साथ सब लोगों को उदास, यहीं छोड़ जाऊंगा भर-भर के जाम जिस में पिए उम्र भर वही ख़ुशियों… Read More

kash ham

कविता : काश! हम सब जन्मजात अंधे होते

काश! हम सब जन्मजात अंधे होते हमारी आँखों में कतई रौशनी न होती चेहरे पर लगा एक काला चश्मा होता और हाथ में लकड़ी की एक छड़ी होती तब इस विश्व का स्वरुप ही दूसरा होता प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व… Read More