नेटफ्लिक्स रिलीज चमन बहार स्टॉकिंग और इश्क के सांचे में एक हल्की-फुल्की कॉमेडी परोसने की कोशिश है। फ़िल्म न तो कॉमेडी का बड़ा कैनवास रचती है ना ही उसका दावा करती दिखती है और शायद यही इसकी ईमानदारी है। लेखक… Read More

नेटफ्लिक्स रिलीज चमन बहार स्टॉकिंग और इश्क के सांचे में एक हल्की-फुल्की कॉमेडी परोसने की कोशिश है। फ़िल्म न तो कॉमेडी का बड़ा कैनवास रचती है ना ही उसका दावा करती दिखती है और शायद यही इसकी ईमानदारी है। लेखक… Read More
बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद कोई नई बात नहीं है। जब से फिल्में बननी शुरू हुई तो इस उद्योग में भी भाई-भतीजावाद ने धीरे-धीरे जड़े जमानी शुरू की आज तो यह वट वृक्षों का रूप ले चुका है। अब उदाहरण के रूप… Read More
किसी की आत्महत्या मेरे अंदर एक द्वंद छेड़ देती है । मैं खुद से ही सवाल जवाब फैसला सब करने लगता हूं और उस किए गए फैसले को मानने से इनकार भी मैं खुद ही करता हूं । मेरी नज़र… Read More
कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में गुलाबो सिताबो पहली फ़िल्म बन गई है जो सीधा ओ टी टी प्लेटफॉर्म (अमेजन) पर रिलीज की गई है। अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की यह फ़िल्म पिछले काफी समय से चर्चित रही है… Read More
शतरंज के खिलाड़ी प्रेमचन्द की वह कहानी है, जिसमें उन्होंने डलहौजी की हड़प नीति का शिकार बनते अवध की कहानी को दर्शाया है, जो अवध के नवाब वाजिद अली शाह के नेतृत्व में ऐशो आराम में बेफिक्र होकर सोया हुआ… Read More
गजल गायकी में मेहदी हसन का वही स्थान है जो हीरों में कोहिनूर का। मेहदी हसन खानदानी कलाकार हैं। वे कलावंत संगीत घराने की 15 पीढ़ी में जन्मे थे। विरासत में मिली गायकी की प्रतिभा को मेहदी ने निरंतर रियाज… Read More
मध्यकाल इतिहास के पन्नों पर ‘संक्रांत युग’ के रूप में दर्ज़ है। इतिहास साक्षी है कि क्रांति सदैव नए मूल्य स्थापित करती है। पूर्व मध्यकालीन साहित्य में स्थापित मूल्यों पर बात करने से पहले एक दृष्टि इस तत्व पर कि… Read More
सुनील दत्त का जीवन एक मिसाल है जिसमें बंटवारे का दंश झेलने वाले परिवार का युवक संघर्ष के विभिन्न पड़ावों से गुजरता हुआ बस कंडक्टर की मामूली नौकरी शुरू कर देश का मंत्री के पद तक पहुंचता है। आज सुनील… Read More
बचपन से किशोरावस्था तक, जब हम किसी भी पशु-पछी को बस एक उपभोग की चीज़ मानते थे, दर्द से कोई वास्ता नहीं था तब-तक उनकी चीर फाड़, निगल जाने को भी कभी ग़लत नहीं माना, न ही कभी कोई कष्ट… Read More
बासु चटर्जी हिंदी और बांग्ला सिनेगा के ऐसे नाम हैं जिनकी फिल्में वास्तव में मध्यवर्गीय जीवन की छोटी – छोटी विसंगतियों को स्वर देती हैं। आम जीवन में पनपे प्रेम की सामाजिक जटिलता को सुलझाती हुई उनकी फिल्में समांतर सिनेमा… Read More