माँ इन चंद पन्नों में तुझे लिख नही सकता । माँ का सिर्फ एक दिन हो ऐसा कह नही सकता । माँ.. माँ हर पल है हर सांस है हर दिन, हर महीना हर साल है माँ.. माँ नदिया है… Read More
ख़ामोश क़त्ल
देखो उस मेट्रो को… कैसे खिलखिला के हँस रही है… सुना है, इसने कई पेड़ों का क़त्ल कर दिया कल रात… कल रात जब हम गहरी नींद में थे कुछ पेड़ सुबक रहे थे अंधेरे में… कइयों ने आवाज़ लगाई… Read More