माँ इन चंद पन्नों में
तुझे लिख नही सकता ।
माँ का सिर्फ एक दिन हो
ऐसा कह नही सकता ।
माँ..
माँ हर पल है
हर सांस है
हर दिन, हर महीना
हर साल है
माँ..
माँ नदिया है
माँ वायु है
माँ अग्नि है
माँ निराकार है
माँ …
माँ जननी है
माँ पालनकर्ता है
माँ सहनशीलता का अद्भुत संसार है
माँ …
माँ दुआएँ है
माँ कड़ी दोपहरी में छांव है
माँ रक्षा है
माँ कवच है
माँ …
माँ पूजा है
माँ पाठ है
माँ रिक्तता है
माँ पूर्णता है
माँ …
माँ जागती रात है
माँ उजाला है
माँ प्यार है
माँ करुणा है
माँ त्याग है
माँ शक्ति है
माँ …
तेरी कोई व्याख्या नही
तू ही व्याख्या है
तू ही शब्द है
तू ही वाक्य
तू ही जीवन
तू ही प्राण …
माँ…
नन्ही सी पालकी में
अपने बच्चे से लिपटी
आँचल के रूप में हिफ़ाज़त है
माँ ..
कैसे लिखूं आपकी व्याख्या वर्णमाला की परिधि कम है,
आपके चरणों मे मेरा कोटि कोटि नमन है ||