nariskti

कविता : नारी

करुणा सागर को धार बनाकर तुम भी लहरों सी हुंकार भरो जाज्वल्यमान ज्वाला बन कर मन के तम का संहार करो अबला ना समझो सबल हो तुम । नारी होने का अभिमान करो ।। उठो निडर तुम बढ़ो निडर तुम… Read More

woman(1)

कविता : मन की बात

मन की बातों को छुपा लिया पर नयनों को क्या समझाओगे अधरों मे दबे अपने भावो को जब शब्दों मे ना कह पाओगे तुम जो कहते थे मेरे जीवन में हर शब्द तुम्हीं हर भाव तुम्ही हो मेरी शक्ति मेरी… Read More

happy mothers day

कविता : माँ वो है जिसके आशीष से मेरी जीवन जोत जलती है

खुले आसमान के नीचे जब भी मैं चाँद को निहारती हूँ । मन ही मन बस यही सोचती और विचारती हूँ ॥ इतनी शीतल इतनी निश्छल कोई कैसे हो सकती है । माँ वो है जिसके आशीष से मेरी जीवन… Read More