woman(1)

मन की बातों को छुपा लिया पर नयनों को क्या समझाओगे

अधरों मे दबे अपने भावो को जब शब्दों मे ना कह पाओगे

तुम जो कहते थे मेरे जीवन में हर शब्द तुम्हीं हर भाव तुम्ही हो

मेरी शक्ति मेरी ऊर्जा मेरे ज्वलंत जीवन मे छांव तुम्ही हो

सब क्या शब्दों के मायाजाल थे बस
क्या कुछ मन से मन की बात नही थी

जिस विश्वास ने बांधा था दोनो को
आजीवन जुड़ पाने की आस नहीं थी

ये कैसा प्रेमपूर्ण व्यवहार है जो प्रेम का कुछ आभास ना दे

हर वक़्त कोई उलझन हो मन मे जो अविरल जल सा उल्लास ना दे

एक दिन सब कुछ जायेगा छूट सब बंधन भी जायेंगे टूट

जो कहतें हैं तुझको अपना वो भी जब जायेंगे सबकुछ लूट

क्या करोगे तुम तब निर्णय लेकर जब खो दोगे खुद की मर्यादा को

होगा अदम्य साहस कितना भी पर अपनों से क्या तब लड़ पाओगे

कितने भी घर मे दर्पन होंगे तुम खुद से फिर ना मिल पाओगे

मन की बातों को छुपा लिया पर नयनों को क्या समझाओगे

अधरों मे दबे मन के भावों को जब शब्दों मे ना कह पाओगे

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