!! अम्मा !!
अम्मा ! तुझ बिन सब है झूठा।
मेरी ख़ातिर अम्मा मेरी, तूने कितने दुःख झेले थे।
तेरी स्नेहमयी गोदी में, उझल-उझल के हम खेले थे।
नियती ने सब खेल बिगड़ा, कालग्रास ने सपना लूटा।
अम्मा तुझ बिन …
तुझ बिन होली, दिवाली भी,जाने कैसे लगते हैं।
मधुबन की हरियाली भी, पतझड़ जैसे लगते हैं।
तुलसी घर की सुनी है, सूना गमला, आंगन टूटा।
अम्मा तुझ बिन …
फ़टे पुराने सब रिश्तों की, तुम कर देती थी तुरपाई।
तुम से ही था आस पड़ोस, शादी,मुंडन और सगाई।
गाय की रोटी,चुग्गा दाना, मन्दिर का दीपक मुझसे रूठा।
अम्मा तुझ बिन…
हे! ममता की पतित पावनी, गंगा की तुम अविरल धारा।
मुक्ति की तो मार्ग तुम्ही थी, तुम बिन सुना है जग सारा।
राजा बेटा रोता है तेरा, रंक के जैसे किस्मत फूटा।
अम्मा तुझ बिन…