कविता : मनुष्य क्या है

संजय कहता है,  की खुद”को I खुद के अंदर, ही सर्च करो I अपने कर्माें पर भी, कभी तो रिसर्च करो। तभी हमें जीवन का, सही मूल्यांकन मिलेगा। हम कितने सही और, कितने गलत हैI यही पर हमें और, आप… Read More

mera dil sochta hai

कविता : दिल सोचता है

मेरे दिल कि सरहद  को पार न करना नाज़ुक है दिल मेरा वार न करना खुद से बढ़कर भरोसा है मुझे तुम पर इस भरोसे को तुम बेकार न करना । दूरियों की ना  परवाह कीजिए दिल जब भी पुकारे… Read More

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कविता : बर्बादी की राह

किताबो में पढ़ कर, रेडियो में सुन कर। कहानियां मोहब्बत की, बड़े बूड़ो से सुनकर। मोहब्बत करने का मन, दिल में पनापने लगा। और लगा बैठे दिल अपना, अपने पड़ोसी की लड़की से।। अब न दिल धड़कता है, न सांसे… Read More

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ग़ज़ल : इश्क़ में दो पल

इश्क़  में  दो  पल  ज़रूरत  से  हां  कुछ ज़्यादा लगेंगे इस  जनम  में  गर नहीं  तो  उस जनम में  हीं  मिलेंगे लाख़   दुश्मन   हो   ज़माने   में   ज़ुदा   कैसे    करेंगे आशनाई   की  हिफ़ाज़त  जब  ख़ुदा  ख़ुद  ही रखेंगे गर जो … Read More

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पूर्व मध्यकालीन साहित्य : मूल्यों की उद्भावना

मध्यकाल इतिहास के पन्नों पर ‘संक्रांत युग’ के रूप में दर्ज़ है। इतिहास साक्षी है कि क्रांति सदैव नए मूल्य स्थापित करती है। पूर्व मध्यकालीन साहित्य में स्थापित मूल्यों पर बात करने से पहले एक दृष्टि इस तत्व पर कि… Read More

Killing pregnant elephant in Kerala

केरल में गर्भवती हथिनी की ‘हत्या’

हम सबको अलग दिखना है । यहां तक कि हम सबसे अलग दिखने के लिए ये भी कह सकते हैं कि आज मैंने खीर खाई जिसका स्वाद चटपटा था । कहीं कहीं थुथुरलॉजी झड़ना काम कर जाता है लेकिन हर… Read More

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गीत : दम न निकल जाये

न वो कुछ कह सकते है, न हम कुछ सुन सकते है। दिलो की पीड़ा को हम, व्या कर सकते नही। लगी है आग सीने में, बुझाए इसे किस तरह। न वो कुछ कहते है, न हम कुछ कहते है।।… Read More

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गीत : फिर याद आये वो

मेरे दिल मे बसे हो तुम, तो में कैसे तुम्हे भूले। उदासी के दिनों की तुम, मेरी हम दर्द थी तुम। इसलिए तो तुम मुझे, बहुत याद आते हो। मगर अब तुम मुझे, शायद भूल गए थे।। आज फिर से… Read More

कविता : दूरियाँ बन गई

नहीं रहेगा आपस में, मेल जोल इंसानो में। तो कहां से जिंदा रहेगी, इंसानियत अब दिलो में। रिश्ते नाते भी अब, मात्र नाम के रह गये। न आना न जाना घर पर, बस दूर से ही नमस्कार।। जब दूरियाँ बनाकर… Read More

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ग़ज़ल : इक दिन ये माटी ही तेरी कहानी बनेगी

इक दिन ये माटी ही, तेरी कहानी बनेगी यारा तेरी फितरत ही, तेरी निशानी बनेगी भूल जायेगी तेरी शक्ल ओ सूरत ये दुनिया, बस तेरी करनी ही, सब की जुबानी बनेगी गर निकाल दे अंदर से ये हवस का जिन,… Read More