संजय कहता है, 
की खुद”को I
खुद के अंदर,
ही सर्च करो I
अपने कर्माें पर भी,
कभी तो रिसर्च करो।
तभी हमें जीवन का,
सही मूल्यांकन मिलेगा।
हम कितने सही और,
कितने गलत हैI
यही पर हमें और,
आप को पता चलेगा।।
अहम से ऊँचा ,
कोई आसमान नहीं।
किसी की बुराई करने जैसा,
आसान कोई काम नहीं।
स्वयं को पहचानने से,
अधिक कोई ज्ञान नहीं।
और क्षमा करने से बड़ा,
कोई दान नहीं।I
मनुष्य की चाल और ढाल।
धन से और धर्म से
भी बदलती है।
जो धन का उपयोग,
धर्म के लिए करते है I
वो सुख शांति और,
समृद्धि पाते हैI
जो धन को अहंकार समझते है,
वो कही के भी नहीं रहतेI
यही मानव जीवन का,
सच्चा सार है।I
जो समझ गया इस,
मूल मंत्र को जीवन में।
जीवन उसका एकदम,
सफल हो जायेगा।
और अपने कर्मो के कारण,
फिर से मनुष्य जन्म पायेगा।
और धर्म की ज्योत,
आगे भी जलायेगा।।

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