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इक दिन ये माटी ही, तेरी कहानी बनेगी
यारा तेरी फितरत ही, तेरी निशानी बनेगी

भूल जायेगी तेरी शक्ल ओ सूरत ये दुनिया,
बस तेरी करनी ही, सब की जुबानी बनेगी

गर निकाल दे अंदर से ये हवस का जिन,
तब तो हर शाम ज़िंदगी की, सुहानी बनेगी

यारा न कर उदास दिल को यूं बेकार में तू,
इक दिन हिम्मत ही, दिल की जवानी बनेगी

गर करेगा तू काम उस ख़ुदा के हिसाब से
तब तो सारी दुनिया ही, तेरी दिवानी बनेगी

न समझ बैठो ‘मिश्र’ खुद को सब का ख़ुदा,
कभी यही सोच तेरी, मन की गिलानी बनेगी

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