to acha hai

ग़ज़ल : तो अच्छा है

वक़्त मोहब्बत में गुज़र जाये, तो अच्छा है ज़िंदगी कुछ और ठहर जाये, तो अच्छा है न की है तमन्ना ज्यादा खुशियों की हमने, ज़रा सी मुस्कान बिखर जाये, तो अच्छा है दिल धड़कता है जाने किस-किस के वास्ते, मुकद्दर… Read More

samundr

ग़ज़ल : अपनों को दूर मत करिये

किसी की रूह को इतना भी, चूर मत करिये इंसान हो कर भी हैवां सा, कसूर मत करिये अच्छा हो अपने कद का भी, अंदाज़ कर लो, देख अपना ही लम्बा साया, गुरूर मत करिये यारा समझ कर कि, अब… Read More

man(1)

ग़ज़ल : कभी ख्वाहिशों ने, फंसाया ज़िन्दगी को

कभी ख्वाहिशों ने, फंसाया ज़िन्दगी को ! तो कभी ज़रूरतों ने, रुलाया ज़िंदगी को ! कभी राह में गैरों ने बिछाए कांटे दोस्तो, तो कभी अपनों ने, छकाया ज़िन्दगी को ! कभी ख्वाबों में खुश हो लिए हम यूं ही,… Read More

ज़िंदा रहे तो

ग़ज़ल : ज़िंदा रहे तो कल की सहर देखेंगे

गर ज़िंदा रहे यारो,तो कल की सहर देखेंगे रस्ते से हटे कांटे,तो अपनी भी डगर देखेंगे डर डर के जी रहे हैं बंद कमरों में आजकल, गर बदलेगा समां,तो आगे का सफ़र देखेंगे जाने आ जाएँ कब गिरफ़्त में करोना… Read More

jazbaat

ग़ज़ल : जज़्बात जता कर क्या करते

किसी को जज़्बात, जता कर भी क्या करते यूं बिखरे अरमान, सजा कर भी क्या करते यारों न थी उन्हें मंज़ूर जब मोहब्बत हमारी, तो खामखा दिल को, सता कर भी क्या करते उनको तो चाहिए थीं यूं ही बरबादियाँ… Read More

ab madari ho gaye

ग़ज़ल : जमूरे,अब मदारी हो गए

खुद पर ही खुद के फैसले,अब भारी हो गए कल तलक था सब कुछ,अब भिखारी हो गए बदल गया है दुनिया का चलन कितना यारों, कभी थे जो शिकार खुद अब शिकारी हो गए क्या याद करना अब उन गुज़रे… Read More

kaha gaya

कविता : मोरों का नर्तन कहाँ गया

वो मोरों का नर्तन कहाँ गया ! फूलों का उपवन कहाँ गया ! अरे कहाँ गए सब मेरे अपने , हम सबका आँगन कहाँ गया ! सबका ही सुख है अपना सुख, वो जीवन का दर्शन कहाँ गया ! रिश्तों… Read More

prakashparv

कविता : प्रकाश पर्व

करो प्रकाशित घर आँगन दुनिया से तम दूर भगाओ पहले सब को खुशियां बांटो फिर अपने घर दीप जलाओ अपने मन को निर्मल कर लो यारा लोभ मोह सब दूर करो बस करो मदद एक दूजे की दिल से दिल… Read More

chalne wale log

ग़ज़ल : हर कदम पे छलने वाले लोग

यहाँ सब के सब मतवाले लोग। हर कदम पे छलने वाले लोग। है बड़ा सुघड़ सा चेहरा उनका, पर दिल के हैं सब काले लोग। वो करते हैं बातें चिकनी चुपड़ी, पर दिल में खुन्नस पाले लोग। अब नहीं मोहब्बत… Read More

khuda

ग़ज़ल : ख़ुदा का दर्जा क्या खाक होता

मोहब्बत के बिना रहना,क्या खाक होता यूं ज़िंदगी में जोश भरना,क्या खाक होता गर न होते दुनिया में,सुख दुःख के पचड़े, तो फिर अश्कों का झरना,क्या खाक होता गर न होती किसी के जिगर में,ये बेचैनियां, तो ज़िंदगी जीने का… Read More