prakashparv

करो प्रकाशित घर आँगन
दुनिया से तम दूर भगाओ
पहले सब को खुशियां बांटो
फिर अपने घर दीप जलाओ

अपने मन को निर्मल कर लो
यारा लोभ मोह सब दूर करो
बस करो मदद एक दूजे की
दिल से दिल का मिलन करो

जो सुलग रहे हैं दिल के अंदर
उन शोलों की तपन बुझाओ
पहले सब को खुशिया बांटो
फिर अपने घर दीप जलाओ

जिनके घर में है पड़ा अँधेरा
जाकर उनका भी ध्यान करो
क्या है मुसीबत उनकी यारों
उसका भी कुछ ख़याल करो

जो ग़म के सागर में डूब रहे
उनको भी जा के पार लगाओ
पहले सब को खुशियां बांटो
फिर अपने घर दीप जलाओ

किसी के मन में खेद रहे ना
तुम ऐसा कुछ उपचार करो
ये क्षणिक मात्र है जीवन यारा
न किसी से तुम प्रतिकार करो

जो बिखर चुके हैं हालातों से
उठा कर उनको गले लगाओ
पहले सब को खुशियाँ बाँटो
फिर अपने घर दीप जलाओ

माँ की गोदी में सर रख कर
तुम बूढी आँखों के दीप बनो
ले कर के आशीष पिता की
दुनिया के सबसे अमीर बनो

बस यही है सबसे बड़ी दिवाली
उनके चरणों में शीश झुकाओ
पहले सब को खुशियां बांटो
फिर अपने घर दीप जलाओ

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