यहाँ सब के सब मतवाले लोग।
हर कदम पे छलने वाले लोग।
है बड़ा सुघड़ सा चेहरा उनका,
पर दिल के हैं सब काले लोग।
वो करते हैं बातें चिकनी चुपड़ी,
पर दिल में खुन्नस पाले लोग।
अब नहीं मोहब्बत मिलती ढूंढे,
सब हैं नफ़रत के परकाले लोग।
हर ओर दिखती कपट की माया,
अब वो कहाँ गए दिल वाले लोग।
यहाँ तो मक्कारों का नाम बड़ा है,
आखिर कहाँ गए पन वाले लोग।
यहाँ नित लोगों के क़त्ल हो रहे,
आखिर कहाँ गए रखवाले लोग।
यहाँ तो दिखते हैं सब बाहर वाले,
आखिर किधर गए घर वाले लोग।
ना करो ‘मिश्र’ तुम यक़ीं किसी पे,
यहाँ तो सब हैं मतलब वाले लोग।