वक़्त मोहब्बत में गुज़र जाये, तो अच्छा है
ज़िंदगी कुछ और ठहर जाये, तो अच्छा है
न की है तमन्ना ज्यादा खुशियों की हमने,
ज़रा सी मुस्कान बिखर जाये, तो अच्छा है
दिल धड़कता है जाने किस-किस के वास्ते,
मुकद्दर अपना भी संवर जाये, तो अच्छा है
हमको आसमां छूने की न थी ललक यारों,
ज़िन्दगी जमीं पर निखर जाये, तो अच्छा है
यारों पड़ा है यूं ही दिल का हर कोना खाली,
कोई चित्र उसमें भी उभर जाये, तो अच्छा है
अब तो रिश्तों का कोई मतलब नहीं है ‘मिश्र’,
बस ज़िंदगी यारों में गुज़र जाये, तो अच्छा है