मेरे दिल कि सरहद
को पार न करना
नाज़ुक है दिल मेरा
वार न करना
खुद से बढ़कर भरोसा है
मुझे तुम पर
इस भरोसे को तुम
बेकार न करना ।
दूरियों की ना
परवाह कीजिए
दिल जब भी पुकारे
बुला लीजिए
कहीं दूर नहीं हैं
हम आपसे
बस अपनी पलकों को
आँखों से मिला लीजिए
दिल में हो आप तो कोई
और ख़ास कैसे होगा
यादों में आपके सिवा
कोई पास कैसे होगा
हिचकियां कहती है
आप याद करते हो…
पर बोलोगें नहीं तो हमें
अहसास कैसे होगा ?
आरज़ू होनी चाहिए
किसी को याद करने की।
लम्हें तो अपने आप
ही मिल जाते हैं
कौन पूछता है पिंजरे में
बंद पंछियों को
याद वही आते है
जो उड़ जाते है…।।